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Friday, 13 May 2022

HSC नंतर ऍडमिशन साठी महत्वाची माहिती

💐 *HSC नंतर ऍडमिशन साठी 👇 महत्वाची माहिती* 💐
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 *मेडीकल प्रवेशासाठी लागणारी कागदपत्रे*
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1) *नीट* आँनलाईन *फाँर्म* प्रिंट
2) *नीटप्रवेश* पत्र 
3) *नीट मार्क* लिस्ट
4)10 वी चा मार्क मेमो
5)10 वी सनद
6) 12वी मार्क मेमो
7) नँशनँलीटी सर्टीफिकेट
8 रहिवाशी प्रमाणपत्र
9)12 वी टी सी
10) मेडिकल सर्टिफिकेट फिटनेस
11) आधार कार्ड
12) उत्पन्न प्रमाणपत्र किंवा फाँर्म नं 16 वडिलांचा
13) मुलाचे राष्ट्रीय बँकेतील खाते
14) मुलाचे तसेच आई व वडिलांचे दोघांचे पँन कार्ड
मागासवर्गीयांसाठीवरील सर्व व खालील प्रमाणपत्रे
1) जातीचे प्रमाणपत्र
2) जात वैधता प्रमाणपत्र
3) नाँन क्रिमीलीयर प्रमाणपत्र 
( मागील काढलेले असेल तर 31 मार्च2021 पर्यत लागू)
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कृपया वरील कागदपत्रे अपुर्ण असतील तर त्वरीत पुर्ण करून घ्यावे.
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👉 *इंजिनीअरिंग प्रवेशासाठी लागणारी कागदपत्रे*
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1) *MHT-CET* आँनलाईन *फाँर्म* प्रिंट
2) MHT-CET* पत्र 
3) MHT-CET* मार्क  लिस्ट
4)10 वी चा मार्क मेमो
5)10 वी सनद
6) 12वी मार्क मेमो
7) नँशनँलीटी सर्टीफिकेट
8 ) रहिवाशी प्रमाणपत्र
9)12 वी टी सी
10) आधार कार्ड
11) उत्पन्न प्रमाणपत्र किंवा फाँर्म नं 16 वडिलांचा
12) राष्ट्रीय बँकेतील खाते                                         13) फोटो.
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*मागासवर्गीयांसाठीवरील सर्व व खालील प्रमाणपत्रे*
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1) जातीचे प्रमाणपत्र
2) जात वैधता प्रमाणपत्र
3) नाँन क्रिमीलीयर प्रमाणपत्र 
( मागील काढलेले असेल तर 31 मार्च2021 पर्यत लागू)

कृपया वरील कागदपत्रे अपुर्ण असतील तर त्वरीत पुर्ण करून घ्यावे
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           *वैद्यकीय क्षेत्र* 
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*शिक्षण - एमबीबीएस* 
कालावधी - पाच वर्षे सहा महिने 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र आणि NEETप्रवेश परीक्षा 
संधी कोठे? - स्वतःचा वैद्यकीय व्यवसाय, रुग्णालयात नोकरी 
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*उच्च शिक्षण - एमडी, एमएस व इतर पदविका*
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*शिक्षण - बीएएमएस* 
कालावधी - पाच वर्षे सहा महिने 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, NEET
संधी कोठे? - स्वतःचा वैद्यकीय व्यवसाय, रुग्णालयात नोकरी 
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*पुढील उच्च शिक्षण - एमडी, एमएस व इतर पदविका*
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*शिक्षण - बीएचएमएस* 
कालावधी - पाच वर्षे सहा महिने 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, NEET
संधी कोठे? - स्वतःचा वैद्यकीय व्यवसाय, रुग्णालयात नोकरी 
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*पुढील उच्च शिक्षण - एमडी*
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*शिक्षण - बीयूएमएस* 
कालावधी - पाच वर्षे सहा महिने 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, NEET
संधी कोठे? - स्वतःचा वैद्यकीय व्यवसाय, रुग्णालयात नोकरी.
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*पुढील उच्च शिक्षण - पदव्युत्तर शिक्षण*
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*शिक्षण - बीडीएस* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, NEET
संधी कोठे? - स्वतःचा वैद्यकीय व्यवसाय, रुग्णालयात नोकरी 
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*पुढील उच्च शिक्षण - एमडीएस*
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*शिक्षण - बीएससी इन नर्सिंग* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र NEET
संधी कोठे? - रुग्णालयात नर्स म्हणून नोकरी .
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*पुढील उच्च शिक्षण - पदव्युत्तर शिक्षण*
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*शिक्षण - बीव्हीएससी ऍण्ड एएच* 
कालावधी - पाच वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र NEET
संधी कोठे? - प्राणी, जनावर रुग्णालयात नोकरी, प्राणी संग्रहालय, अभयारण्यात नोकरी, स्वतःचा व्यवसाय 
पुढील उच्च शिक्षण - पदव्युत्तर शिक्षण 
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         *शिक्षण - डिफार्म* 
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कालावधी - तीन वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, थेट प्रवेश 
संधी कोठे? - औषधनिर्मिती कारखान्यात नोकरी, स्वतःचा व्यवसाय.
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*पुढील उच्च शिक्षण - बीफार्म*
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*शिक्षण - बीफार्म* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, सीईटी 
संधी कोठे? - औषध कंपनी किंवा औषध संशोधन संस्था इत्यादी ठिकाणी नोकरी, स्वतःचा व्यवसाय, नागरी सेवा परीक्षा 
पुढील उच्च शिक्षण - एमफार्म 
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  *संरक्षण दलांत प्रवेशासाठी*
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केंद्रीय लोकसेवा आयोगामार्फत (यूपीएससी) वर्षातून एनडीए (एक) व एनडीए (दोन) अशा दोन वेळा लेखी परीक्षा होतात. 
एअर फोर्स व नेव्हीसाठी जे उमेदवार राज्य शिक्षण मंडळाची किंवा मान्यताप्राप्त विद्यापीठाची बारावी परीक्षा भौतिकशास्त्र व गणित या विषयांसह उत्तीर्ण आहेत किंवा त्या परीक्षेस बसलेले आहेत, असे उमेदवार परीक्षेसाठी पात्र ठरतात. 
वयोमर्यादा : साडेसोळा ते 19 वर्षांदरम्यान वय असलेले उमेदवार अर्ज करू शकतात.
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*अभियांत्रिकी व ऑटो मोबाईल*
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*शिक्षण - इंजिनिअरिंग डिप्लोमा* 
कालावधी - तीन वर्षे 
पात्रता व प्रवेश परीक्षा - बारावी शास्त्र, थेट दुसऱ्या वर्गात प्रवेश 
संधी कोठे? - आयटी औद्योगिक क्षेत्रात, उद्योग किंवा व्यवसाय, स्वयंरोजगार 
पुढील उच्च शिक्षण - बीईच्या दुसऱ्या वर्षात प्रवेश 
*शिक्षण - बीई* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, सीईटी 
संधी कोठे? - स्वतःचा व्यवसाय, आयटी, औद्योगिक क्षेत्र, संशोधन संस्था, नागरी सेवा परीक्षा, अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा 
पुढील उच्च शिक्षण - एमई, एमटेक, एमबीए; तसेच जीआरई देऊन परदेशात एमएस 
*शिक्षण - बीटेक* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, आयआयटी जेईई, एआयईईई 
संधी कोठे? - औद्योगिक क्षेत्र, सरकारी उद्योग, खासगी उद्योग, संशोधन संस्था, आयटी क्षेत्र, नागरी सेवा व अभियांत्रिकी सेवा परीक्षा, स्वयंरोजगार 
पुढील उच्च शिक्षण - एमई, एमटेक, एमबीए किंवा जीआरई देऊन परदेशात एमएस 
शिक्षण - ऑटोमोबाईल अभियांत्रिकी पदवी - 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता - बारावी शास्त्र, सीईटी 
शिक्षण - ऑटोमोबाईल अभियांत्रिकी पदव्युत्तर शिक्षण 
कालावधी - दोन वर्षे 
पात्रता - बीई, ऑटोमोबाईल, मॅकेनिकल, उत्पादन, तत्सम शिक्षण 
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    *कॉम्प्युटरमधील कोर्सेस* 
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डीओईएसीसी "ओ' लेव्हल 
कालावधी - एक वर्ष ऊजएअउउ 
डिप्लोमा इन ऍडव्हान्स्ड सॉफ्टवेअर टेक्‍नॉलॉजी 
कालावधी - दोन वर्षे 
सर्टिफिकेट कोर्स इन इन्फर्मेशन टेक्‍नॉलॉजी 
कालावधी - सहा महिने 
सर्टिफिकेट इन कॉम्प्युटर ऍप्लिकेशन 
कालावधी - तीन महिने 
सर्टिफिकेट इन कॉम्प्युटिंग 
कालावधी - दहा महिने 
इग्नू युनिव्हर्सिटी 
सर्टिफिकेट कोर्स इन कॉम्प्युटर प्रोग्रॅमिंग 
कालावधी - एक वर्ष 
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         *शिक्षण - बारावी*
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*शास्त्र कॉम्प्युटर ऍप्लिकेशन* 
कालावधी - एक वर्ष 
वेब डिझाईनिंग ऍण्ड वेब डेव्हलपमेंट 
कालावधी - दोन महिने 
कॉम्प्युटर ऑपरेटर ऍण्ड प्रोग्रॅम असिस्टन्स 
कालावधी - एक वर्ष 
(फक्त मुलींसाठी) 
डिप्लोमा इन ऍडव्हर्टायझिंग ऍण्ड ग्राफिक डिझाईनिंग 
कालावधी - दोन वर्षे 
गेम डिझाईन ऍण्ड डेव्हलपमेंट 
कालावधी - एक वर्ष 
प्रिंट इमेजिंग ऍण्ड पब्लिशिंग, कार्टून ऍनिमेशन, ई-कॉम डेव्हलपमेंट, वेब ग्राफिक्‍स ऍण्ड ऍनिमेशन 
कालावधी - एक वर्ष 
कॉम्प्युटर ऑपरेटर ऍण्ड प्रोग्रॅमिंग असिस्टंट 
कालावधी - एक वर्ष 
डेस्क टॉप पब्लिशिंग ऑपरेटर 
कालावधी - एक वर्ष 
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     *रोजगाराभिमुख कोर्सेस*
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*शिक्षण - डिप्लोमा इन प्लॅस्टिक मोल्ड टेक्‍नॉलॉजी* 
कालावधी - तीन वर्षे 
पात्रता - बारावी (70 टक्के) 
संधी कोठे? - प्लॅस्टिक आणि मोल्ड 
इंडस्ट्रीमध्ये संधी, सिंगापूर, मलेशियामध्ये संधी 
उच्च शिक्षण - पदव्युत्तर शिक्षण 
कोठे? सेंट्रल इन्स्टिट्यूशन ऑफ प्लॅस्टिक्‍स 
इंजिनिअरिंग ऍण्ड टेक्‍नॉलॉजी, म्हैसूर 
*शिक्षण - टूल ऍण्ड डाय मेकिंग* 
कालावधी - चार वर्षे 
पात्रता - दहावी आणि बारावी पास 
संधी - टूल ऍण्ड डाय इंडस्ट्री, भारत आणि मलेशियाशियामध्ये भरपूर संधी गव्हर्नमेंट टूल रूम ऍण्ड ट्रेनिंग सेंटर 
(जीटीटीसी), नेट्टूर टेक्‍नॉलॉजी ट्रेनिंग 
फाउंडेशन (एनटीटीएफ) 
सेक्रेटरीअल प्रॅक्‍टिस 
कालावधी - एक वर्ष 
फॅशन टेक्‍नॉलॉजी 
कालावधी - एक वर्ष 
मॉडर्न ऑफिस प्रॅक्‍टिस 
कालावधी - तीन वर्षे 
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*हॉस्पिटॅलिटी ऍण्ड टुरिझम*
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*टूरिस्ट गाइड* 
कालावधी - सहा महिने 
डिप्लोमा इन फूड ऍण्ड बेव्हरेज सर्व्हिस 
कालावधी - दीड वर्ष 
बेसिक कोर्स ऑन ट्रॅव्हल फेअर ऍण्ड टिकेटिंग 
कालावधी - तीन महिने 
बेसिक कोर्स इन कॉम्प्युटराइज्ड रिझर्व्हेशन 
सिस्टम (एअर टिकेटिंग) 
कालावधी - एक महिना 
अप्रेन्टाईसशिप 
कालावधी - पाच महिने ते चार वर्षे 
*शिक्षण - व्होकेशनल स्ट्रिममध्ये बारावी* 
डिजिटल फोटोग्राफी 
कालावधी - एक वर्ष 
स्टोअर कीपिंग ऍण्ड पर्चेसिंग 
कालावधी - एक ते तीन वर्षे 
सेल्स ऍण्ड अकाउंटन्सी 
कालावधी - एक ते तीन वर्षे.
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        *बांधकाम व्यवसाय*
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*शिक्षण - बीआर्च* 
कालावधी - पाच वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, NATA , JEE
संधी कोठे? - स्वतःचा व्यवसाय किंवा बांधकाम उद्योगांमध्ये नोकरी, नागरी सेवा परीक्षा 
पुढील उच्च शिक्षण - एमआर्च, एमटेक  
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        *पारंपरिक कोर्सेस* ---------------------------------------------------------
*शिक्षण - बीएससी* 
कालावधी - तीन वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र, प्रवेश थेट संधी कोठे? - आयटी, औद्योगिक क्षेत्र, संशोधन संस्था, नागरी सेवा परीक्षा, स्वयंरोजगार 
पुढील उच्च शिक्षण - एमएससी, एमबीए, एमसीए, एमपीएम इत्यादी.
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*शिक्षण - बीएससी(Agri)* 
कालावधी - 4 वर्षे 
पात्रता व प्रवेश - बारावी शास्त्र व CET
संधी कोठे? - कृषी उद्योग कारखान्यात नोकरी, सरकारी कृषी सेवा नोकरी, नागरी सेवा परीक्षा, शेती व्यवसाय 
पुढील उच्च शिक्षण - एमएससी (ऍग्रो), राष्ट्रीय कृषी परिषद संस्थांमध्ये संशोधन 
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*शिक्षण - बीए* 
कालावधी - तीन वर्षे 
संधी कोठे? - नोकरीसाठी व्यावसायिक, मृदू कौशल्ये, प्रमाणपत्र अथवा पदविका अभ्यासक्रम बीए करतेवेळी जास्त फायदेशीर. नागरी सेवा परीक्षा, स्वयंरोजगार 
पुढील शिक्षण - एमए, एमबीए, पत्रकारिता, पदविका, एलएलबी
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*शिक्षण - बीकॉम* 
कालावधी - तीन वर्षे 
संधी कोठे? - आयसीडब्ल्यूए, सीए, सीएस परीक्षांचा अभ्यास बीकॉम करताना देणे फायदेशीर, नागरी सेवा परीक्षा, स्वयंरोजगार, लेखापाल म्हणून नोकरी 
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*शिक्षण - बीएसएल* 
कालावधी - पाच वर्षे 
संधी कोठे? - विधी व्यवसाय, विधी सल्लागार, नागरी सेवा परीक्षा, न्याय सेवा 
पुढील उच्च शिक्षण - एलएलएम 
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*शिक्षण - डीएड* 
कालावधी - दोन वर्षे 
प्रवेश - सीईटी आवश्‍यक 
संधी कोठे? - प्राथमिक शिक्षण शिक्षक 
पुढील उच्च शिक्षण - बीए, बीकॉम व नंतर बीएड 
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*शिक्षण - बीबीए,* बीसीए,बीबीएम 
कालावधी - तीन वर्षे 
प्रवेश - सीईटी 
संधी कोठे? - औद्योगिक क्षेत्रात नोकरी, आयटी क्षेत्रात नोकरी, स्वयंरोजगार, नागरी सेवा परीक्षा 
पुढील उच्च शिक्षण - एमबीए, एमपीएम, एमसीए  

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*फॉरेन लॅंग्वेज* 
(जर्मन, फ्रेंच, रशियन, स्पॅनिश, चायनीज, 
जॅपनीज, कोरियन) 
कालावधी ः बेसिक, सर्टिफिकेट किंवा इतर 
कोर्सेसवर आधारित
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*फॉर्म भरताना हे लक्षात ठेवा.*
अर्ज भरायला जाताना मार्कलिस्ट, जातीचा दाखला, नागरिकत्व, आधार कार्ड आणि घराच्या पत्त्याच्या पुराव्याची अटेस्टेड कॉपी न्यायला विसरू नका. पासपोर्ट आकाराचा फोटो, डिंक, त्याचबरोबर कागदपत्रे जोडण्यासाठी स्टेपलर जवळ ठेवा. 
विद्यार्थ्यांचे नाव, पत्ता, ई-मेल, नागरिकत्व, जन्मतारीख, जन्मस्थळ इत्यादीची माहिती अर्जात दिलेल्या पद्धतीनेच भरावी. 
उदा.- आडनाव, पालकांचे नाव, स्वतःचे नाव योग्य रकान्यातच लिहावे. इंग्रजीमध्ये अर्ज भरल्यास तो कॅपिटल लेटरमध्ये भरावा. 

अर्ज चुकू नये म्हणून सुरवातीला त्याच्या झेरॉक्‍सवर माहिती भरा. त्यानंतर अर्जात ती माहिती भरा. एखादा मुद्दा न कळल्यास मार्गदर्शन घ्या. 

अर्ज भरायच्या तारखा आणि वेळापत्रकाचे कसोशीने पालन करा. 

इतर क्षेत्रांमध्ये मिळवलेल्या प्रमाणपत्रांच्या अटेस्टेड कॉपी बरोबर ठेवा. 

काही महाविद्यालयांमध्ये प्रश्‍नावली भरावी लागते. त्यामध्ये तुम्हाला याच महाविद्यालयामध्ये प्रवेश का हवा, ठराविकच शाखा का, रोल मॉडेल कोण, करिक्‍युलर ऍक्‍टिव्हिटीजबाबत अनेक प्रश्‍न असतात. अशा प्रश्‍नांवरील उत्तरांचा आधीच विचार करून ठेवा. 
बऱ्याच वेळेला ऑनलाइन अर्जप्रक्रिया पूर्ण करायच्या असतात. त्यासाठी संबंधित कागदपत्रे स्कॅन करा. ते पेनड्राइव्हवर सेव्ह करून ठेवा आणि तो आपल्या जवळ बाळगा. 
×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×+×

*काही महत्त्वाची संकेतस्थळे*
1) तंत्रशिक्षण संचालनालय, महाराष्ट्र शासन. 
(अभियांत्रिकी, वास्तुशास्त्र, औषधनिर्माण शास्त्र, हॉटेल मॅनेजमेंट आदी) 
www.dte.org.in 

2) वैद्यकीय शिक्षण आणि संशोधन संचालनालय, महाराष्ट्र शासन (वैद्यकीय शिक्षणासंबंधी) 
www.dmer.org

3) व्यवसाय शिक्षण व प्रशिक्षण संचालनालय, महाराष्ट्र शासन (औद्योगिक प्रशिक्षणासाठी) 
www.dvet.gov.in

4) पारंपरिक पदवी शिक्षण, पुणे विद्यापीठ 
www.unipune.ac.in

5) भारतीय प्रौद्योगिक संस्था (आयआयटी), मुंबई 
आयआयटी, जेईईसंबंधी (बी. टेक पदवी) 
www.iitb.ac.in 

6) केंद्रीय माध्यमिक शिक्षण मंडळ (सीबीएसई) "एआयईईई‘संबंधी अभियांत्रिकी शिक्षण 
www.aipmt.nic.in 

7) एनडीए प्रवेश परीक्षेणसंबंधी केंद्रीय लोकसेवा आयोगय (यूपीएससी) 
www.upsc.gov.in
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Friday, 6 May 2022

शिक्षण विस्तार अधिकारी व केंद्रप्रमुख पद भरणेबाबत माहिती

*शिक्षण विस्तार अधिकारी व केंद्रप्रमुख पदे भरण्याबाबत कालबद्ध कार्यक्रम 20 मे 2022 पर्यंत जाहीर करण्याचे ग्रामविकास विभागाचे निर्देश ; जाणून घ्या पदांची अर्हता, अभ्यासक्रम, परीक्षा पद्धती व संदर्भ पुस्तके*
       शालेय शिक्षण विभागाच्या गुणवत्ता वाढीसाठी क्षेत्रीय स्तरावरील शिक्षण विस्तार अधिकारी व केंद्रप्रमुख पदे महत्वाची असतात, मात्र सदरची पदे मोठ्या प्रमाणात रिक्त असल्याने सदर पदे भरण्याबाबत शिक्षण विभागाकडे वारंवार विचारणा लोकप्रतिनिधी मार्फत होत असल्याने सदरची रिक्त पदे तात्काळ भरण्याबाबत 20 मे 2022 पर्यंत कालबद्ध कार्यक्रम जाहीर करण्याचे पत्र ग्रामविकास विभागाने सर्व विभागीय आयुक्त यांना पाठवले आहे. सदरची पदे 10 जून 2014 रोजीच्या अधिसूचनेनुसार सरळसेवा, विभागीय निवडीद्वारे व पदोन्नतीद्वारे भरण्यात येणार आहेत. 

*10 जून 2014 अधिसूचना नुसार शिक्षण विस्तार अधिकारी व केंद्रप्रमुख पात्रता*

*1.शिक्षण विस्तार अधिकारी*

पात्रता : 1) 50% गुणासह पदवी व B.Ed.
            2) अध्यापनाचा / प्रशासनाचा 3 वर्षाचा अनुभव 
            3) वयो मर्यादा 36 वर्ष ( प्रवर्गानुसार वयोमर्यादा शिथील असेल ) 

निवड : 1) सरळसेवेद्वारे 50%
           2) जि.प.न.प./मा.शि. /मुख्या/ केंद्रप्रमुख यांच्यातुन विभागीय स्पर्धा परीक्षाद्वारे 25% 
          3) सेवाजेष्ठतेने पदोन्नती 25%

*2.केंद्रप्रमुख पदासाठी*

पात्रता : 1) 50% गुणासह पदवी व B.Ed.
            2) अध्यापनाचा / प्रशासनाचा 3 वर्षाचा अनुभव 
            3) वयो मर्यादा 36 वर्ष ( प्रवर्गानुसार वयोमर्यादा शिथील असेल ) 

निवड : 1) सरळसेवेद्वारे 40%
           2) जि.प.न.प./मा.शि. /मुख्या/ केंद्रप्रमुख यांच्यातुन विभागीय स्पर्धा परीक्षाद्वारे 30% 
          3) सेवाजेष्ठतेने पदोन्नती 30%
          4) भाषा , गणित विज्ञान , समाजिक शास्त्र नुसार पदे भरली जातात. 

*शिक्षण विस्तार अधिकारी व केंद्रप्रमुख पदांचा अभ्यासक्रम स्वरूप*
        केंद्र प्रमुख रिक्त पदे स्पर्धा परीक्षेने भरण्यासाठी अभ्यासक्रम महाराष्ट्र शासनाच्या शासन निर्णय 9/9/2019 द्वारे सुधारित व अद्ययावत करण्यात आला असून तो केंद्र प्रमुख पदाच्या कामकाजाशी सुसंगत करण्यात आला आहे.या पदासाठी 200 गुणांची परीक्षा असून दोन्ही पेपरचे एकूण 200 वस्तुनिष्ठ प्रश्न आहेत.पेपर एक 100 प्रश्न 100 गुण आणि पेपर दोन 100 प्रश्न 100 गुण असणार आहे.परीक्षा मराठी व इंग्रजी या दोन्ही माध्यमातून होणार आहे.शिक्षण विस्तार अधिकारी पदाचाही अभ्यासक्रम केंद्रप्रमुख पदाप्रमाणेच असू शकतो, याबाबत केंद्रप्रमुख पदाप्रमाणेच शासन निर्णय किंवा जाहिरात प्रसिद्ध झाल्यावर अभ्यासक्रम अधिकृतपणे समजू शकतो.

*केंद्रप्रमुख परीक्षाचे स्वरूप व अभ्यासक्रम*

     शासन निर्णय 9 सप्टेंबर 2019 नुसार केंद्रप्रमुख पदासाठी
एकून 200 गुणांची परीक्षा घेण्यात येणार आहे.

*पेपर 1 हा 100 गुण 100 प्रश्न*
*पेपर 2 हा 100 गुण 100 प्रश्न*

▪️  *पेपर - 1 -  बुद्धिमत्ता व अभियोग्यता*
( 100 प्रश्न - 100 गुण ) 

• *बुद्धिमत्ता -* आकलन , वर्गीकरण ,  सहसंबंध संख्या व अक्षरे , संख्या / अक्षर मालिका , लयबद्धता , तर्क व अनुमान भाषिक व अभाषिक , अनुमान , कुट प्रश्न , गणित कोडी , सांकेतांक भाषा , आकृती , भाषिक बुद्धिमत्ता , अभाषिक बुद्धिमत्ता इत्यादी 

•  *अभियोग्यता -* गणितीय चाचणी , तार्किक प्रश्न , भाषिक क्षमता मराठी , भाषिक क्षमता इंग्रजी , अवकाशिय संबोध , कल , आवड , व्यक्तीमत्व विकास , अचुकता , निर्णय क्षमता , व्यवहारीक गणित ,  इत्यादी 
      केंद्र प्रमुख पेपर एकच्या अभ्यासासाठी पुढील महत्वपूर्ण अभ्यास संदर्भ पुस्तके उपयुक्त ठरतील.
1. केंद्र प्रमुख परीक्षा बुद्धिमत्ता व अभियोग्यता घटक पेपर एक संपूर्ण मार्गदर्शक - डॉ शशिकांत अन्नदाते, के सागर पब्लिकेशन्स,पुणे
2. केंद्र प्रमुख परीक्षा बुद्धिमत्ता व अभियोग्यता घटक पेपर एक संपूर्ण तयारी - के सागर व डॉ.अनिरुद्ध
*3.शिक्षक अभियोग्यता विशेष तयारी - स्वाती शेटे (के'सागर पब्लिकेशन्स)*- सदरचे पुस्तक शिक्षक अभियोग्यता घटकाच्या परिपूर्ण तयारीसाठी अतिशय उपयुक्त आहे.
        वरील पुस्तके केंद्रप्रमुख व शिक्षण विस्तार अधिकारी परीक्षेच्या तयारीसाठी अभ्यासक्रमाची व्याप्ती, परीक्षेतील काठिण्य पातळीचा दर्जा समजून परिक्षाभिमुख तयारी  करण्यासाठी अतिशय उपयुक्त ठरतील.
        तसेच पेपर एकमधील बुद्धिमत्ता चाचणी व गणितासाठी स्वतंत्रपणे के सागर,नितीन महाले,शांताराम अहिरे,सतीश वसे यांची पुस्तके अभ्यासता येतील.
         मराठी भाषिक क्षमतेसाठी  के'सागर,बाळासाहेब शिंदे,डॉ.आशालता गुट्टे  यांची पुस्तके अभ्यासावीत.
        इंग्रजी भाषिक क्षमतेसाठी के सागर, बाळासाहेब शिंदे, सुदेश वेळापुरे यांची पुस्तके अभ्यासता येतील.
       यामधील शिक्षक अभियोग्यतेशी संबधित कल, आवड, समायोजन आणि व्यक्तिमत्व घटकांवर उपयोजनात्मक प्रश्न विचारले जातात.या घटकाच्या तयारीसाठी *स्वाती शेटे मॅडम यांचे "शिक्षक अभियोग्यता विशेष तयारी"* हे के'सागर पब्लिकेशन्स कडून प्रकाशित पुस्तक अतिशय उपयुक्त ठरेल.

       *पेपर क्रमांक दोन- शालेय शिक्षणातील नियम, अधिनियम व शैक्षणिक नवविचार प्रवाह*
       यामध्ये शालेय शिक्षणातील नियम, अधिनियम व शैक्षणिक नवविचार प्रवाह यावर आधारित प्रश्न विचारले जाणार आहेत.प्रस्तुत पेपर अभ्यासक्रम पूर्णतः नवीन व केंद्र प्रमुख कामकाजाशी निगडित आहे.
        केंद्र प्रमुख पेपर दोनच्या अभ्यासक्रमात भारतीय राज्यघटनेतील शिक्षण विषयक तरतुदी, शिक्षण विषयक सर्व कायदे व योजना,अद्ययावत शासन निर्णय, केंद्रीय व राज्य पातळीवरील शिक्षण विषयक संस्थांचे रचना व कार्य,माहिती तंत्रज्ञान वापर, अभ्यासक्रम, अध्ययन-अध्यापन पद्धती,माहितीचे विश्लेषण व मूल्यमापन, शालेय विषयांचे आशयज्ञान व सामान्यज्ञान, संप्रेषण कौशल्य, चालू घडामोडी विशेषतः शैक्षणिक व क्रीडा विषयक इत्यादी बाबींचा समावेश आहे.प्रस्तुत केंद्र प्रमुख सविस्तर अभ्यासक्रमासाठी 9 सप्टेंबर 2019 च्या शासन निर्णयाचे अवलोकन करावे.थोडक्यात पेपर दोनचा अभ्यासक्रम व त्यास घटकनिहाय गुण पुढीलप्रमाणे आहेत.

▪️ *पेपर - 2 शालेय शिक्षणातील नियम , अधिनियम , शैक्षणिक नव विचार प्रवाह* 

1.भारतीय राज्यघटना शिक्षण विषयक तरतुदी , कायदे , नियम इत्यादी - 10 गुण

•  शिक्षण क्षेत्रातील घडामोडी , शैक्षणिक संस्था , कार्य व माहिती इत्यादी - 10 गुण

•  माहिती तंत्रज्ञान / संगणक वापर व शैक्षणिक सहसंबंध - 15 गुण

• अभ्यासक्रम व मुल्यमापन , अध्ययन अध्यापन पद्धती , शैक्षणिक विचावंत व विचार इत्यादी - 15 गुण

•  माहितीचे विश्लेषण , मुल्यमापन , शैक्षणिक सहसंबंध इत्यादी - 20 गुण

• वियषज्ञान , सामान्यज्ञान , इंग्रजी विषयज्ञान इत्यादी -15 गुण

• संप्रेषण कौशल्य  - 5 गुण

    *एकूण - 100 गुण* 

 केंद्र प्रमुख पेपर दोनसाठी महत्वपूर्ण अभ्यास संदर्भ पुढीलप्रमाणे आहे.
*१.केंद्रप्रमुख परीक्षा शालेय शिक्षणातील नियम, अधिनियम व शैक्षणिक नवविचार प्रवाह-पेपर दोन संपूर्ण मार्गदर्शक- डॉ.शशिकांत अन्नदाते, के'सागर पब्लिकेशन्स, पुणे*
         सदर पुस्तकातून पेपर दोन मध्ये समाविष्ट सर्व घटक, उपघटक व प्रमुख मुद्यांची परीक्षभिमुख तयारी करता येईल.तसेच केंद्र प्रमुख अभ्यासक्रमाची व्याप्ती व त्यावर घटकनिहाय विचारल्या जाणाऱ्या प्रश्नांची तयारी करता येईल.
       तसेच केंद्र प्रमुख परीक्षा तसेच शिक्षण विस्तार अधिकारी परीक्षा  अभ्यासक्रमाची तयारी करण्यासाठी पुढील पुस्तके अत्यंत उपयुक्त ठरतील.
1.जिल्हा शिक्षण व प्रशिक्षण संस्था - डॉ.शशिकांत अन्नदाते(तिसरी आवृत्ती),के'सागर पब्लिकेशन्स
2.शैक्षणिक व प्रायोगिक मानसशास्त्र- डॉ.ह.ना.जगताप,नित्यनूतन प्रकाशन (पाचवी आवृत्ती)
3.संपुर्ण बालमानसशास्त्र व अध्यापनशास्त्र संपुर्ण विवेचन व वस्तुनिष्ठ प्रश्न - डॉ.शशिकांत अन्नदाते(सातवी आवृत्ती)
          केंद्र प्रमुख पेपर क्रमांक एक व दोन चा अभ्यासक्रम अतिशय विस्तृत व व्यापक आहे.केंद्र प्रमुख परीक्षेची जाहिरातीबाबत शासन पातळीवरील हालचाली पाहता(ग्रामविकास विभाग यांचे पत्र  5 मे 2022 रिक्त जागा कालबद्ध कार्यक्रम घोषित करण्याचे विभागीय आयुक्त यांना पत्र तसेच शासन निर्णय 9 सप्टेंबर 2019 द्वारे नवीन अद्ययावत केलेला अभ्यासक्रम) यामुळे सदरची जाहिरात लवकरच प्रकाशित होण्याची शक्यता आहे, तसेच ही पदे बऱ्याच वर्षांपासून रिक्त असल्याने लवकरच परीक्षेद्वारे भरली जातील, तेव्हा केंद्र प्रमुख पदाचा व्यापक अभ्यासक्रम लक्षात घेऊन पात्र शिक्षकांनी सखोल अभ्यासाला त्वरित सुरवात करून परीक्षेतील आपले यश सुनिश्चित करावे.
             शुभेच्छा.......

Friday, 29 April 2022

नवोदय परीक्षेबाबत महत्त्वाचा सूचना


🗒️उद्या नवोदय परीक्षेला जात आहात तर खालील महत्वाच्या गोष्टी लक्षात ठेवाच.

1)परीक्षेला जाताना तुमचे हाॕलटिकीट (admit card ),चांगले चलणारे 4 ते 5 बॉल पेना एकाच रंगाच्या घ्या काळ्या किंवा निळ्या रंगाच्या.

2)तुमच्या सोबत दोन रूमाल असायलाच हवेत कारण तुमच्या तळ हाताला नेहमी घाम येत असतो .घामामुळे उत्तरपत्रिका खराब होईला नको म्हणून थोड्या थोड्या वेळाने तळहात पुसा आठवणीने.

3)तुमची पाण्याची बाटली बँचवर चूकून पण ठेवू नका .तुम्हांला पाणी हव्या असल्यास पेपर बाजूला करून पेपर वर पाणी पडणार नाही या पद्धतीने पाणी प्या.
*पेपर सोडविताना तुम्हांला पूर्ण 2 तास वेळ घ्यायचा आहे हे लक्षात ठेवा.गडबड करून पेपर लवकर सोडवू नका.वेळेचे नियोजन करा.*

4) पेपर सोडविताना प्रत्येक प्रश्न  पूर्ण वाचा त्यानंतरच प्रश्नाचे अचूक उत्तर पर्यायातून निवडा आणि महत्वाचे म्हणजे उत्तरपत्रिकेत त्याच प्रश्नाचा क्रमांक पाहून नंतरच तुमचा अचूक पर्याय रंगवा.चूकून सुद्धा दुसऱ्या गोल मध्ये dot पण पडू देवू नका तुमचे ते उत्तर चूकीचे ठरू शकते.

5)उताऱ्यातील प्रश्न सोडविण्याअगोदर उतारा व्यवस्थित वाचून घ्या त्यानंतर एक एक प्रश्न सोडवायला सुरूवात करा.उत्तर निवडताना तुमचे उत्तर त्या उताऱ्याशी जुळणारे आहे का ? याची खात्री करा.कधी कधी आपल्याला वाटते तसे उताऱ्यात नसते.उताऱ्यावरील 20  प्रश्न आपले अचूकच आले पाहिजे हे प्रत्येकाने ध्यानात ठेवा.65% मुलांचे उत्तरे अचूक येतात.

6)बुद्धिमत्ता मधील आकृत्याचे 10 प्रकार तुम्हांला येतात पण OC (over confidence )अतिआत्मविश्वास करू नका.प्रत्येक प्रश्नातील प्रत्येक पर्यायातील आकृती पाहूनच तुमचे उत्तर निवडा.गडबडीत उत्तरे निवडू नका.40 आकृत्या अचूक आल्याच पाहिजे हे target तेव्हा .45 % मुलांच्या सर्व आकृत्या येतातच.

7) आता गणितातील प्रश्नांना सुरूवात होते .सर्वात अगोदर एक लक्षात ठेवा गणितातील प्रत्येक प्रश्न सोडविल्याशिवाय उत्तर अंदाजे करू नका.कितीही सोपा प्रश्न असू द्या तो सोडवाच.

8)कधी कधी सुरूवातीला 5 ते 6 प्रश्न खूपच सोपे येतात आणि आपण relax होतो आणि उत्तरे तोंडी करायचा प्रयत्न करतो आणि इथेच खऱ्या चूका होत असतात हे लक्षात ठेवा.

9)नवोदयचे खरे मेरीट हे गणितातील 4 ते 5 प्रश्नावरच फिरत असते हे लक्षात ठेवा .

10)स्पर्धा खूप आहे हे लक्षात ठेवा.प्रत्येक जिल्ह्यात 10 हजार मुले नवोदय परीक्षेला बसलेले आहेत आणि जागा आहेत फक्त 80 .तुम्ही पेपर सोडविताना हाच  एक विचारा करा की जागा कितीही असोत त्यात एक जागा तुमची fix आहे आणि याच दिशेने व्यवस्थित पाऊल टाका.पेपर छान सोडवा.

*शेवटी एकच म्हणेल तुम्ही वर्षभर केलेल्या अभ्यासाला 2 तासात 80 प्रश्नात अचूक पर्याय निवडून यशाच्या  80 मोत्यांची व्यवस्थित गुंफण करा.*
*💐💐सर्वांना उद्याच्या परीक्षेसाठी खूप खूप शुभेच्छा💐💐*

🙏ध्येय स्पर्धा परीक्षा 🙏

Wednesday, 20 April 2022

वाहतूक भत्ता दर सुधारणा

💥 शासन निर्णय - वाहतूक भत्ता दर सुधारणा करणेबाबत

⏰ *एप्रिल 2022* पासून वाहतूक भत्ता नवीन दर खालीलप्रमाणे असतील. 
S1 ते S6 - 675
S7 ते S19 - 1350
S20 व त्यावरील 2700

👩‍🦽 *दिव्यांग कर्मचाऱ्यांसाठी*
S1 ते S6 - 2250
S7 ते S19 - 2700
S20 व त्यावरील 5400

🏃‍♀️ *नागरी समूह मधील कार्यरत कर्मचाऱ्यांसाठी / दिव्यांग कर्मचाऱ्यांसाठी*
S1 ते S6 - 1000 / 2700
S7 ते S19 - 2700 / 5400
S20 व त्यावरील 5400 / 10800



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Tuesday, 5 April 2022

ITR filing: अगर आपकी सालाना आय इतनी है तो 31 जुलाई के बाद भी रिटर्न भरने पर नहीं लगेगी पेनल्टी

ITR filing: अगर आपकी सालाना आय इतनी है तो 31 जुलाई के बाद भी रिटर्न भरने पर नहीं लगेगी पेनल्टी

ITR filing: वित्त वर्ष 2021-22 के लिए आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई, 2022 है। ऐसे में अगर आपसे आईटीआर फाइल करने की डेडलाइन मिस हो जाती है, तो 10,000 रुपये की पेनल्टी देनी होती है। हालांकि, यह पेनल्टी सभी को देनी नहीं होती है। आयकर कानून के मुताबिक, अगर आपकी सालाना आय आयकर छूट सीमा से अधिक नहीं है तो देरी से आईटीआर फाइल करने पर भी जुर्माना नहीं देना होगा। नई व्यवस्था के तहत बेसिक आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये है। इसमें उम्र की कोई सीमा नहीं है। वहीं, ओल्ड टैक्स नियम में 60 साल से कम उम्र के लोगों के लिए बेसिक छूट लिमिट 2.5 लाख रुपये, 60 से 80 साल के उम्र के टैक्सपेयर के लिए 3 लाख रुपये और 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों के लिए 5 लाख रुपये है।

धारा 234F के तहत कोई विलंब शुल्क नहीं

टैक्स एक्सपर्ट के मुताबिक, अगर सालाना आय बेसिक छूट सीमा से अधिक नहीं है तो समय सीमा के बाद दायर आईटीआर पर धारा 234एफ के तहत कोई विलंब शुल्क नहीं देना होता है। वर्तमान कर कानूनों के अनुसार, किसी व्यक्ति के लिए लागू मूल कर छूट सीमा उसके द्वारा चुनी गई कर व्यवस्था पर निर्भर करती है। यदि कोई व्यक्ति नई कर व्यवस्था का विकल्प चुनता है, तो उसकी उम्र के बावजूद मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये होगी।

नियम को लेकर कुछ अपवाद भी

  1. अगर एक व्यक्ति ने किसी बैंक या सहकारी बैंक में एक या एक से ज्यादा खाते में 1 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा जमा किए हैं तो उसे रिटर्न फाइल करना होगा।
  2. अगर किसी व्यक्ति ने विदेश यात्रा पर 2 लाख या उससे ज्यादा खर्च किए हैं। यह नियम उस वक्त भी लागू होगा जब विदेश यात्रा पर किसी दूसरे व्यक्ति द्वारा पैसे खर्च किए गए हों तो उसकी आय छूट में शामिल होने पर भी रिटर्न दाखिल करना होगा।
  3. बिजली की खपत पर एक लाख या उससे ज्यादा खर्च करने वाले व्यक्ति को रिटर्न दाखिना करना जरूरी है।
  4. अगर कोई टैक्सपेयर किसी विदेशी संपत्ति का मालिक है, जैसे किसी विदेशी कंपनी का स्टॉक होल्डर तो उसे भी रिटर्न फाइल करना जरूरी है।

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Income Tax New Rule: १ एप्रिलपासून लागू झालेत इन्कम टॅक्सचे १० नवे नियम; पाहा संपूर्ण माहिती

Income Tax New Rule: नवीन आर्थिक वर्ष २०२२-२३ सुरू होताच इन्कम टॅक्सचे अनेक नियम बदलले आहेत. एक करदाता म्हणून तुमच्यासाठी या बदलांची माहिती असणे खूप महत्त्वाचे आहे. जर तुम्हाला अद्याप या बदलांबद्दल माहिती नसेल तर आम्ही तुम्हाला येथे सांगणार आहोत की कोणते नियम बदलण्यात आले आहेत.

१) तुम्ही नोकरी करत असाल आणि आतापर्यंत तुमच्या EPF (Employee provident fund) खात्यात वार्षिक २.५ लाख रुपयांहून अधिक योगदान देत असाल, तर असे करणे आता तुमच्यासाठी नुकसानीचं ठरणार आहे. आता तुम्ही तुमच्या EPF खात्यात वार्षिक फक्त २.५ लाख रुपये जमा करू शकता आणि ती करमुक्त असेल. यापेक्षा जास्त रक्कम जमा केल्यास तुम्हाला EPF वर मिळणाऱ्या व्याजावर कर भरावा लागेल.

२) व्हर्च्युअल डिजिटल असेट्सच्या हस्तांतरणातून मिळणारे उत्पन्न १ एप्रिलपासून कराच्या कक्षेत आले आहे. यावर ३० टक्के दराने इन्कम टॅक्स द्यावा लागेल. म्हणजेच तुम्ही क्रिप्टोकरन्सीमध्ये (Cryptocurrency) गुंतवणूक केल्यास त्यातून मिळणाऱ्या उत्पन्नावर कर अनिवार्य करण्यात आला आहे. १ जुलै २०२२ पासून यावर १ टक्के टीडीएस लागू होईल. अर्थमंत्री निर्मला सीतारामन (Finance Minister Nirmala Sitharaman) यांनी अर्थसंकल्पात क्रिप्टो मालमत्तेतून मिळणाऱ्या उत्पन्नावर कर आकारण्याची घोषणा केली होती.

३) क्रिप्टो किंवा डिजिटल असेट्समधून मिळणाऱ्या उत्पन्नावर कर आकारला जाईल, परंतु त्याउलट जर तोटा झाला तर तो त्याच्या नफ्यातून भरून काढू शकणार नाही. उदाहरणार्थ, तुम्ही दोन डिजिटल मालमत्ता विकत घेतल्यास. एकात 100 रुपये नफा तर दुसऱ्यात 100 रुपयांचा तोटा. अशा परिस्थितीत 100 रुपयांच्या नफ्यावर तुम्हाला 30 रुपये आयकर भरावा लागेल. दुसरीकडे, दुसऱ्या मालमत्तेतील 100 रुपयांचे नुकसान पहिल्या मालमत्तेच्या नफ्याने भरून काढता येणार नाही. शेअर्समध्ये गुंतवणूक करताना हा पर्याय उपलब्ध आहे.

४) तुम्हाला क्रिप्टोकरन्सी किंवा इतर कोणतीही व्हर्च्युअल डिजिटल असेट्स भेट म्हणून मिळाल्यास, तुम्हाला त्यावर कर भरावा लागेल.

५) जर तुम्हाला कोणतीही चूक किंवा चूक सुधारून पुन्हा इन्कम टॅक्स रिटर्न (ITR) भरायचा असेल तर तुम्ही ते करू शकता. नवीन आर्थिक वर्षात करदात्यांना ही विशेष सुविधा देण्यात आली आहे. असेसमेंट इयरच्या दोन वर्षांच्या आत तुम्ही अपडेटेड रिटर्न भरू शकता.

६) राज्य सरकारी कर्मचारी आता त्यांच्या मूळ वेतन आणि महागाई भत्त्याच्या १४ टक्क्यांपर्यंत पर्यंत NPS मध्ये योगदान देऊ शकतात. यापूर्वी, योगदान मर्यादा केवळ 10 टक्क्यांपर्यंत होती. म्हणजेच, आता ते केंद्र सरकारच्या कर्मचाऱ्यांना उपलब्ध असलेल्या कपातीप्रमाणे कलम 80CCD(2) अंतर्गत या कपातीचा दावा देखील करू शकतात.

७) १ एप्रिल २०२२ पासून, सर्व प्रकारच्या मालमत्तेवर दीर्घकालीन भांडवली नफ्यावर १५ टक्के दराने अधिभार लावला जाईल. आतापर्यंत, या दराने अधिभार फक्त सूचीबद्ध कंपन्यांच्या किंवा म्युच्युअल फंडांच्या शेअर्सवर झालेल्या दीर्घकालीन भांडवली नफ्यावर भरावा लागत होता.

८) प्रथमच घर खरेदी करणाऱ्यांना मिळणारी अॅडिशनल डिडक्शनची सुविधा १ एप्रिलपासून बंद करण्यात आली आहे. ४५ लाखांपर्यंतच्या घराच्या मालमत्तेवर १.५ लाख रुपयांच्या अॅडिशनल डिडक्शनची सुविधा आतापर्यंत प्राप्तिकर नियमांमध्ये देण्यात आली होती.

९) कोविड-१९ च्या उपचारासाठी मिळालेल्या रकमेवर २०२२-२३ मध्येही कर सवलत सुरू राहील. ही रक्कम १० लाखांपेक्षा जास्त नसावी. जर कोविडमुळे एखाद्या व्यक्तीचा मृत्यू झाला तर त्या व्यक्तीच्या मृत्यूनंतर १२ महिन्यांच्या आत पैसे मिळणे आवश्यक आहे.

१०) आता दिव्यांग मुलांच्या पालकांना किंवा त्यांचं पालकत्व असलेल्यांना करात सूट देण्याची तरतूद करण्यात आली आहे. त्यांनी जीवन विमा पॉलिसी घेतल्यास, त्यांना काही अटींच्या अधीन राहून कर सूट मिळू शकते.

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Friday, 1 April 2022

भारतीय शिक्षणपद्धतीची जडणघडण

प्रस्तावना
स्वातंत्र्यपूर्व काळातील  आयोग
स्वांतत्र्योत्तर काळातील  आयोग

१) प्रस्तावना
                    विकसित देशांचा विकास शिक्षणाच्याच मार्फत झाला. सध्या मानवी संसाधन विकासासाठी ‘शिक्षण’ हे सर्वात महत्त्वाचं साधन आहे. राष्ट्रीय विकास करायचा असेल तर भौतिक साधनसंपत्तीपेक्षा सर्वात महत्त्वाची साधनसंपत्ती म्हणजे मानव! ज्याप्रमाणे कोणत्याही इमारतीचा पाया मजबूत असल्याशिवाय ती इमारत मजबूत असू शकत नाही, त्याचप्रमाणे माणूस व शिक्षण या दोन्ही बाजू विकसित झाल्याशिवाय राष्ट्रविकास होऊ शकत नाही. मानव संसाधन विकासासाठी विविध कार्यक्षेत्रं पाहावयास मिळतात. उदा. शैक्षणिक, वैज्ञानिक, आíथक, धार्मिक, सामाजिक, व्यावसायिक, सांस्कृतिक इ. शिक्षण हे समाजपरिवर्तनाचे एक हत्यार आहे. उत्कृष्ट नागरिक हा शिक्षणाच्या माध्यमातून घडवता येतो. ‘भावी सक्षम नागरिक’ घडवण्यास शिक्षण मदत करत असते. त्यामुळे शिक्षणाचा पाया म्हणजेच प्राथमिक शिक्षणापासून विचार करू.

सर्व शिक्षणाचा आधारस्तंभ या भूमिकेतून प्राथमिक शिक्षणाकडे पाहिलं जातं. म्हणूनच भारतीय घटनेमध्ये वय वष्रे ६ ते १४ वयोगटांतील मुलांना मोफत सक्तीचे व सार्वत्रिक शिक्षण केले आहे. ब्रिटिशांच्या काळात जेवढा विकास पाहिजे तेवढा झाला नाही. कारण पाश्चिमात्य संस्कृतीचा आपल्या शिक्षणपद्धतीवर खूप प्रभाव पडला होता, त्या वेळी नोकरदार बनवण्याचे शिक्षण होते, तर सक्षम नागरिक बनवण्याचे शिक्षण नव्हतेच! त्यामुळेच स्वातंत्र्योत्तर काळात शिक्षणासाठी विविध आयोग व समित्या तयार झाल्या उदा. १९५२-५३ चा मुदलियार आयोग, यांनी शिक्षण मातृभाषेतून द्यावे, अशी शिफारस केली. तसेच १९६४-६६ च्या कोठारी आयोगानुसार प्राथमिक शाळा १ कि. मी. च्या आत असावी हे नमूद केलं. १९८६ च्या राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरणानुसार प्राथमिक शिक्षणात खडूफळा मोहीम यावर भर दिला. प्रा. दवे यांनी प्राथमिक स्तरावर किमान अध्ययन पातळीची शिफारस केली. या सर्व गोष्टींचा भारतात फरक पडला. सध्या भारतात आठवीपर्यंत शिक्षण मोफत आहे. त्याचप्रमाणे गुणात्मक व संख्यात्मक वाढसुद्धा झाली आहे.

स्वातंत्र्यपूर्व व स्वांतत्र्योत्तर काळात विविध आयोग व प्राथमिक शिक्षणासाठी, माध्यमिक व उच्च शिक्षणासाठी काही आयोग नेमण्यात आले.

) स्वातंत्र्यपूर्व काळातील  आयोग

२.१) चार्टर अ‍ॅक्ट : हा १८१३ साली आला. यात शिक्षण पाश्चिमात्य कीपारंपरिक यावर वाद होता.

२.२) लॉर्ड मेकॅले जाहिरनामा :: १८३४ साली जाहीर झाला. त्यातूनच भारतीय शिक्षणपद्धतीची सुरुवात होत गेली. याच अहवालाला लॉर्ड बेंटिकने मान्यता दिली.

२.३) १८५४ वूडचा खलिता : या अहवालामध्ये सर चार्ल्स यांनी पाश्चिमात्य ज्ञानावर भर द्यावा यावर शिफारस केली, तसेच मद्रास, कलकत्ता, मुंबई या विद्यापीठांची स्थापना झाली.

२.४) १८८२ चा हंटर आयोग : हंटर आयोगापुढेच महात्मा फुले यांनी आपली कैफियत मांडली. हंटर आयोग लॉर्ड रिपन यांनी मांडला. यामध्ये प्राथमिक, माध्यमिक, विद्यापीठीय शिक्षण, स्त्री शिक्षण यावर भर होता.

२.५) १९०२ भारतीय विद्यापीठ आयोग : लॉर्ड कर्झन यांनी उच्च शिक्षणासाठी हा आयोग मांडला. त्यांनी १९०४मध्ये भारतीय विद्यापीठ कायदा मांडलेला.

२.६) १९१७ सॅडलर आयोग : सर मायकेल सॅडलर यांनी शिक्षणामध्ये विविध मार्गानी विकास कसा करावा याबाबत शिफारशी सुचावल्या.

२.७) वर्धा शिक्षण योजना १९३७ : या योजनचे अध्यक्ष डॉ. झाकीर हुसेन होते. तर वर्धा शिक्षणयोजनेची स्थापना महात्मा गांधी यांनी केली. हीच योजना मुलोद्योगी शिक्षण, बेसिक शिक्षणपद्धती, नई तालीम या नावाने ओळखली जाते. यामध्ये स्वावलंबी शिक्षण, विद्यार्थी केंद्रीय शिक्षण, स्वाश्रयी शिक्षण, हस्तव्यवसाय शिक्षण, नतिक शिक्षण, मातृभाषेतून शिक्षण व ७ ते १४ वयोगटांतील मुलांना मोफत व सक्तीचं शिक्षण होतं.

३) स्वांतत्र्योत्तर काळातील  आयोग

३.१) राधाकृष्णन् आयोग : ४ नोव्हेंबर १९४८ साली डॉ. राधाकृष्णन् यांच्या अध्यक्षतेखाली केंद्रीय शिक्षण सल्लागार मंडळाने या आयोगाची शिफारस केली. हा आयोग उच्च शिक्षणासाठी व माध्यमिक शिक्षणाची पुनर्रचना करण्यासाठी स्थापला गेला. हा आयोग स्वांतत्र्यप्राप्तीनंतरचा पहिला आयोग होता. मातृभाषेला महत्त्व देणे, स्त्रीशिक्षणावर भर देणे, संस्कृतीसंवर्धन यावर भर होता.

३.२) मुदलियार आयोग : याला माध्यमिक शिक्षण आयोग संबोधलं जातं. याचे अध्यक्ष डॉ. अलादी लक्ष्मणस्वामी मुदलियार यांनी १९५२-५३साली हा आयोग स्थापन केला. यामध्ये पुढील बाबींवर भर देण्यात आला. शालेय शिक्षणाचा कालावधी १२ वर्षावरून ११ वर्षावर आणण्याची शिफारस केली. त्याचप्रमाणे बहुउद्देशीय शाळा असाव्यात हे सुचविण्यात आलं. विद्यार्थ्यांसाठी परीक्षा या व्यक्तिनिष्ठ नसाव्यात तर वस्तुनिष्ठ असाव्यात, गुणाऐवजी श्रेणी द्यावी. मातृभाषेतून शिक्षण असावं (३+३+१) म्हणजेच ३ वर्ष माध्यमिक, +३ र्वष उच्च माध्यमिक, +१ वर्ष अकरावीचे वर्ष असावं. या आयोगामध्ये शिक्षकाच्या सेवाशर्तीत सुधारणा घडवली गेली.

३.३) दुर्गाबाई देशमुख आयोग : स्त्री शिक्षणासाठी पहिला महत्त्वाचा आयोग स्थापन झाला, तो १९५८ साली. त्या वेळी सरोजनी बाबर या आयोगाच्या सचिव होत्या. हा आयोग १९५९ साली सादर केला. यामध्ये शिक्षणासाठी विविध शिफारशी केल्या. उदा. स्वतंत्र स्त्रीशिक्षण विभाग, स्त्री-शिक्षण समिती नेमावी, शिक्षिकांना प्रशिक्षण द्यावं, स्त्रियांसाठी व्यवसाय शिक्षण द्यावं, अंशकालीन शिक्षणपद्धती असावी. त्यावर भर होता.

३.४) कोठारी आयोग : डॉ. डी. एस. कोठारी १९४६-६६ साली यांच्या अध्यक्षेतेखाली हा आयोग स्थापन केला. या आयोगामध्ये शैक्षणिक विस्तार व गुणवत्ता यावर भर दिला होता. डॉ. कोठारी यांच्या मते ‘देशाचे भवितव्य हे वर्गावर्गातून घडत असतं. यामुळे शिक्षणातून देशाचा विचार या वाक्यास सुसंगत अशा खूप शिफारशी केल्या. त्या पुढीलप्रमाणे -

त्रिभाषा सूत्राचा विचार, 
शालेय शिक्षणाचे माध्यम मातृभाषा, 
आश्रम शाळात वाढ, 
स्त्रीविभाग स्वतंत्र असावेत, 
पदवीपर्यंत मातृभाषेतून शिक्षण व पदव्युत्तर शिक्षण इंग्रजीतून द्यावे, 
रात्र महाविद्यालयं सुरू करावीत, 
शिक्षकांना प्रशिक्षण द्यावे, 
विद्यापीठाच्या संख्येत वाढ करून ठरावीक महाविद्यालयांना स्वायत्तता द्यावी.
विद्यार्थ्यांच्या गैरहजेरीचे प्रमाण कमी व्हावे यासाठी अंशकालीन प्रौढ साक्षरता वर्ग सुरू करावेत. 
शिक्षक वेतनश्रेणीत सर्वत्र समानता, 
प्राथमिक शाळेत पुस्तके व साहित्य मोफत, 
पुस्तकपेढी योजना सुरू करावी. 
श्रमशिबिर व समाजसेवा कार्यक्रम सुरू करून बालकांचा सामाजिक विकास साधावा. 
आदिवासी मुलांसाठी वसतिगृह सुरू करावे, 
विद्यार्थी कल्याण योजना राबवावी, 
सर्व स्तरावर विज्ञान विषयाला महत्त्व द्यावे, 
विद्यार्थी संख्या विचारात घेऊन वर्गखोल्या असाव्यात, 
समाजाच्या गरजेनुसार पाठय़क्रम असावा, 
त्यानुसार पाठय़पुस्तकं तयार करावीत. 
डॉ. कोठारी यांनीच १०+२+३ आकृतीबंध सुचवला.

कोठारी आयोगाच्या शिफारशीनुसार पहिले राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण १९६८ मध्ये जाहीर केलं.

३.५) राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण १९६८ : डॉ. त्रिगुणा सेन यांच्या अध्यक्षतेखाली हा आयोग स्थापन झाला. यामध्ये मूल्यमापन पद्धतीत सुधारणा करावी, प्राथमिक शाळांत, गळती व नापासाचे प्रमाण कमी करण्यासाठी कार्यक्रमांची आखणी, पाठय़पुस्तकाचा गुणात्मक विकासावर भर, माध्यमिक शाळांना पाचवी ते सातवीचे वर्ग जोडावेत, प्रत्येक बालकांना चालत जाता येईल एवढय़ा अंतरावर प्राथमिक शाळा असावी, कार्यानुभव विषयावर भर द्यावा, आदी गोष्टी सुचवल्या गेल्या.

३.६) ईश्वरभाई पटेल पुनर्वलोकन समिती : राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण १९६८ च्या शैक्षणिक धोरणाचे परिणाम अभ्यासण्यासाठी गुजरात विद्यापीठाचे कुलगुरू ईश्वरभाई पटेल यांच्या अध्यक्षतेखाली समितीची स्थापना केली गेली. यात महत्त्वपूर्ण शिफारशी केल्या. उदा. औपचारिक व अनौपचारिक शिक्षणावर भर दिला गेला. अभ्यासक्रमात लवचिकता असावी, पर्यायी शिक्षण यावरही भर होता, पहिली ते चौथी गृहपाठ नसावा, समाजोपयोगी माध्यमातून शिक्षण द्यावे, प्राथमिक स्तरावर पाठय़पुस्तके नसावीत, फक्त भाषेची पाठय़पुस्तकंही बोली भाषेत असावीत, सर्वाना शिक्षणाची समान संधी असावी या प्रमुख शिफारशी होत्या.

३.७) माल्कम आदिशेषय्या समिती: उच्च माध्यमिक स्तरावर व्यावसायिक शिक्षण प्रश्नाचा अभ्यास करण्यासाठी १९७७ साली माल्कम आदिशेषय्या यांच्या अध्यक्षतेखाली समिती नेमली गेली. या समितीद्वारे शेती, ग्रामीण उद्योग, व्यवस्थापन यावर भर होता. तर व्यावसायिक शिक्षण व सर्वसाधारण शिक्षण हे दोन पर्याय उपलब्ध असावेत. राष्ट्रीय व राज्यस्तरीय व्यावसायिक शिक्षण परिषद असावी हे सुचवलं गेलं.

३.८) शालेय शिक्षण सुधार समिती : १९८४ सालची ही समिती महाराष्ट्राच्या संदर्भात होती. ही पार्वतीबाई मलगोंडा यांच्या अध्यक्षतेखाली भरली. यात पुढील सूचना केल्या. मधल्या वेळेत जेवण योजना, बालवाडय़ा-प्राथमिक शाळांना जोडाव्यात, तसेच शिक्षक प्रशिक्षित असावेत. ३ किमी आत प्राथमिक शाळा असावी.

३.९) राष्ट्रीय शैक्षणिक धोरण १९८६ : कै. राजीव गांधी यांच्या अध्यक्षतेखाली हे धोरण जाहीर झालं. या धोरणात महत्त्वपूर्ण शिफारशी केल्या गेल्या. उदा. नवोदय विद्यालय स्थापना, उच्चशिक्षणात सर्वाना समान संधी, शिक्षणाचा गुणात्मक विकासावर भर, मुक्त विद्यापीठ प्रणाली, प्रौढ व निरंतर कार्यक्रमावर भर, स्त्री शिक्षणावर भर, प्राथमिक स्तरावर कृषीप्रधान शिक्षण पद्धती, खडूफळा मोहीम, शिक्षणाचे सार्वत्रिकीकरण, शालेय गळतीचे प्रमाण कमी करण्यासाठी योजना, ६ ते १४ वर्षापर्यंत मोफत व सक्तीचे प्राथमिक शिक्षण, माध्यामिक शिक्षणात व्यावसायिक शिक्षणाचा भर, शिक्षणाचे खासगीकरण इ.

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Tuesday, 29 March 2022

PFMS विषयी माहिती

PFMS प्रणाली प्री-मार्गदर्शिका





PFMS माहिती पुस्तिका





PFMS SHORT INFO.



 
PFMS Checker & Maker तयार कारणे.






Vendors तयार कारणे. 






PFMS PPT समग्र शिक्षा विभाग भंडारा





PFMS PPT समग्र शिक्षा विभाग 








PFMS PPT समग्र शिक्षा विभाग सिंधुदुर्ग 









PFMS PPT समग्र शिक्षा विभाग पारनेर.







PFMS_PPT समग्र शिक्षा विभाग कोल्हापूर 








PFMS - Public Financial Management System - सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्थापन सेवा

 

PFMS - Public Financial Management System - सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्थापन सेवा



PFMS म्हणजे सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्थापन सेवा. सोप्या भाषेमध्ये सांगायचे म्हणजे PFMS हे अशी सेवा आहे ज्याद्वारे सरकारकडून मिळणारे अनुदान सबसिडी आणि इतर आर्थिक लाभ वापर करतांना त्यांच्या बँकेमध्ये जमा केले जातात.

             भारत सरकारने लागू केलेल्या अनेक सेवा योजना न पैकी PFMS एक महत्त्वाची सेवा ठरत आहे. PFMS च्या मदतीने भ्रष्टाचार किंवा फसवणूकींना काळा बसविण्याकरिता मदत होईल. आणि वापरकर्त्यांना सरकारकडून मिळणाऱ्या अनुदानाचा पूर्णत्व फायदा करून घेता येईल. PFMS च्या सेवेमुळे सरकारकडून मिळणारे अनुदान हे वापरकर्त्यांच्या थेट बँकेमध्ये जमा होत आहे. PFMS ही एक प्रकारची स्वयंचलित प्रणाली आहे. या प्रणालीमध्ये कोणताही व्यक्तीच्या हस्तक्षेपाशिवाय लाखो रुपयांची देवाण-घेवाण एका क्लिक वरून करता येते.

            PFMS भारत सरकार द्वारे सुरू केलेली एक योजना आहे. या योजनेची सुरुवात 2016 सालापासून करण्यात आली. ही योजना वित्त मंत्रालय आणि नीती आयोग म्हणजेच Finance Ministry  आणि Planning Commission यांच्या सहकार्याने सुरू करण्यात आली.

सुरुवातीला PFMS चे नाव CPSMS (central plan scheme Monitoring system) असे होते. परंतु सन 2016 पासून CPSMS त्याचे नाव बदलून PFMS असे ठेवण्यात आले.

PFMS यंत्रणेमार्फत भारत सरकार द्वारे चालविल्या जाणाऱ्या सर्व योजनांचा पैशांचा लाभ आहात प्रत्यक्ष युजरला घ्या आता याबाबत व ती रक्कम  वापर करत्या च्या खात्यामध्ये जमा व्हावे हा या योजनेचा मुख्य हेतू आहे.

ही, PFMS System पीएफएमएस प्रणाली सुरू होण्यापूर्वी वापरकर्त्याच्या खात्यात सरकारद्वारा पाठवण्यात येणारी रक्कम किंवा अनुदान हे DBT ( Direct Benefit Transfer ) याच्या अंतर्गत पाठवली जात होती. DBT ची सुरुवात 1 जानेवारी 2013 पासून सुरू करण्यात आली होती. अनुदानाची रक्कम थेट वापरकर्त्याच्या खात्यामध्ये जमा होईल  हा DBT चा मुख्य हेतू होता



PFMS चे कार्य :


पीएफएमएस सी भारत सरकार द्वारे सुरु करण्यात आलेली एक योजना आहे. पीएफएमएस एक प्रकारची User Generated प्रणली आहे.  प्रणालीवर नियंत्रण हे भारत सरकारच करत असते.

या प्रणाली मध्ये प्रत्येक व्यक्तीचा तपशील हा जतन केला जाऊ शकतो. 


भारत सरकारकडून येणारे अनुदान किंवा रक्कम ही या तपशील च्या आधारावर वेळोवेळी वापर करता च्या खात्यामध्ये जमा होत असते तसे वेळच्यावेळी Update केली जाते.


PFMS हे मुख्यता नीती आयोग आणि वित्त विभागाच्या नियंत्रणाखाली होते. यातील निती आयोग हा देशातील अशा वापरकर्त्यांची यादी तयार करते ज्यांना सरकारकडून अनुदान दिले जाईल.

त्यानंतर वापरकर्त्यांच्या माहितीची यादी तयार केली जाते व त्यांचे Bank Account  तपशील ची यादी तयार केली जाते. त्यानंतरच्या वापर करतांना निधी द्यायचा आहे त्या सर्वांना एकाच वेळी त्यांच्या बँक खात्यामध्ये निधी वितरण केले जाते. अशाप्रकारे सरकारकडून मिळणारे अनुदान पैसे हे वापर करताना थेट त्यांच्या बँक अकाउंटमध्ये जमा झालेले मिळतात.


 
पीएफएमएस चे फायदे | Advantages of PFMS


PFMS चे काही महत्वपूर्ण फायदे आहेत ते पुढील प्रमाणे;

1. PFMS च्या मदतीने सरकारकडून मिळणारे पैसे हे वापरकर्त्यांच्या बँकेमध्ये थेट जमा होता त्यामुळे भ्रष्टाचार, काळाबाजार अशा घटना घडत नाहीत.

2. PFMS मुळे लाभार्थ्यांना सतत बँकेमध्ये जाऊन चौकशी करण्याची गरज भासणार नाही.

3. पीएफएमएस मान सरकारने राबवणाऱ्या योजनांच्या लाभार्थ्यांना व योग्य वापर करताना पुरेपूर लाभ घेता येत आहे.

4. प्रणाली पूर्णपणे इलेक्ट्रिकल आहे. जी पूर्णपणे कम्प्युटर सॉफ्टवेअर आणि इंटरनेटवर आधारित आहे यामध्ये कोणताही व्यक्ती सहभागी होऊ शकत नाही.


PFMS प्रणाली अंतर्गत येणारी सबसिडी :

भारत सरकार द्वारा राबविण्यात आत येणाऱ्या अनेक योजनांचा लाभ लाभार्थ्यांना व्हावा याकरिता PFMS या योजनेद्वारे अनुदानित रक्कम थेट वापर कर त्यांच्या बँक खात्यामध्ये जमा होते.



PFMS प्रणाली अंतर्गत येणाऱ्या सबसिडी या पुढील प्रमाणे;

प्रधानमंत्री आवास योजनेअंतर्गत मिळणारा लाभ विद्यार्थ्यांना मिळणाऱ्या विविध स्कॉलरशिप
मनरेगा अंतर्गत देण्यात येणाऱ्या मजुरांचे सरकारी अनुदान शेतकरी किंवा इतर वर्गाला कर्जमाफीचा लाभ वृद्ध पेशन्स अंतर्गत मिळणाऱ्या लाभ.


PFMS प्रणाली कशी वापरावी ?

 
आपण शाळेचा आर्थिक व्यवहार यापूर्वी शाळा व्यवस्थापन समिती ठराव घेऊन शाळेला आवश्यक गोष्टी खरेदी करण्यास मान्यता घेतली जायची व चेक द्वारे सदर खर्च ची रक्कम संबंधितास अदा केली जायची. परंतु राज्य व केंद्र शासन जिल्हा तालुका व शाळा स्तरावर नेमकी किती रक्कम खर्च केली आहे,  ही करण्यासाठी वारंवार अहवाल मागवण्याची गरज होती. परंतु यात एकसूत्रीपणा आणण्यासाठी केंद्र शासनाने PFMS - Public Financial Management System नावाची एक ऑनलाईन प्रणाली या वर्षीपासून सुरू केली आहे. सदर पोर्टल वरील खर्च हा  काल मर्यादित करायचा असल्यामुळे सदर काल मर्यादेनंतर ही रक्कम परत शासनाच्या खाती वळती केली जाऊ शकतात.



काळजीपूर्वक सर्व माहिती वाचूनच यावर माहिती भरावी. धन्यवाद 

 
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PFMS - Public Financial Management System - सार्वजनिक वित्तीय व्यवस्थापन सेवा







Monday, 21 March 2022

Aadhar card link with pan card

पॅन कार्ड आणि आधार कार्ड ही महत्त्वाची सरकारी कागदपत्रं प्रत्येक व्यक्तीकडे असणे गरजेचे आहे. ओळखीचा पुरावा असण्यासोबतच अनेक ठिकाणी या कागदपत्रांचा उपयोग होतो. तसेच, सरकारने PAN आणि Aadhaar Card लिंक करणे अनिवार्य केले आहे. तुम्ही जर आतापर्यंत ही दोन्ही कागदपत्रं लिंक केली नसल्यास ३१ मार्च ही शेवटची तारीख आहे. आधार – पॅन कार्ड लिंक करण्याची प्रोसेस खूपच सोपी असून, तुम्ही घरबसल्या मिनिटात हे करू शकता. यासाठी तुम्हाला कोणत्याही थर्ड पार्टीकडे जाण्याची गरज नाही. ३१ मार्चपर्यंत आधार – पॅन लिंक न केल्यास पॅन कार्ड काम करणार नाही.

पॅन कार्ड वैध राहण्यासाठी कागदपत्रं त्वरित लिंक करणे गरजेचे आहे. यासाठी तुम्हाला इनकम टॅक्स डिपार्टमेंटच्या अधिकृत वेबसाइटवर जावे लागेल.

आधार- पॅनकार्ड लिंक करावयाची प्रोसेस पाहूया.....

१) तुम्ही डिव्हाइसच्या ब्राउजरमध्ये www.incometax.gov.in ला देखील ओपन करू शकता. 

२) वेबसाइटवर गेल्यानंतर तुम्हाला क्विक लिंकमध्ये Link Aadhaar या पर्यायावर जावे लागेल. हा पर्याय तुम्हाला वेबपेजच्या उजव्या बाजूला दिसेल. 


३) यावर टॅप केल्यानंतर पॅन नंबर, आधार नंबर, रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर आणि नाव इत्यादी माहिती द्यावी लागेल.


आता तुम्हाला लिंक आधार हा पर्याय सिलेक्ट करावा लागेल. 

४) यानंतर तुमच्या मोबाइल नंबरवर एक ओटीपी येईल. ओटीपी व्हेरिफाय केल्यानंतर आधार व पॅन कार्ड लिंक होईल. 

तुमचे आधार कार्ड व पॅन कार्ड आधीपासूनच लिंक असल्यास......,

जर तुमचे आधार कार्ड व पॅन कार्ड आधीपासूनच लिंक असल्यास तुम्हाला एक मेसेज दिसेल. ज्यात कागदपत्रं लिंक असल्याचे सांगितले जाईल. 

Link Aadhaar Status

तसेच, तुम्ही आधीच आधार कार्ड व पॅन लिंक करण्याची रिक्वेस्ट केली असल्यास उजव्या बाजूला दिलेल्या Link Aadhaar Status वर क्लिक करून माहिती पाहू शकता. 

यानंतर आधार व पॅन नंबर देवून View Link Aadhaar Status वर क्लिक करा. या प्रोसेसनंतर तुम्हाला संपूर्ण माहिती मिळेल. 

३१ मार्च शेवटची तारीख

दरम्यान, PAN आणि Aadhaar Card लिंक करण्याची शेवटची तारीख ३१ मार्च आहे. याआधी देखील सरकारने कागदपत्रं लिंक करण्याची तारीख अनेकदा वाढवली आहे. त्यामुळे ही प्रोसेस लवकरात लवकर पूर्ण गरजेचे आहे.

PAN-Aadhaar Link के लिए एक और साल

आयकर विभाग (Income Tax Department) के लिए नीतियां बनाने वाली शीर्ष इकाई केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) नै पैन-आधार लिंक कराने की आखिरी तारीख पूरे एक साल के लिए बढ़ाकर 31 मार्च 2023 कर दी है. 

CBDT ने बुधवार को देर शाम इसे लेकर एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया. नोटिफिकेशन में लिखा है कि करदाताओं की असुविधा को कम करने के लिए Aadhaar को PAN Card से लिंक करने की समयावधि को 31 मार्च 2023 तक बढ़ाया गया है. ये चौथी बार है जब सरकार ने पैन कार्ड को आधार से लिंक करने की आखिरी तारीख बढ़ाई है.

काम करता रहेगा PAN

जिन लोगों का पैन-कार्ड अब तक आधार से लिंक नहीं हो पाया है, CBDT की इस नई व्यवस्था के बाद 31 मार्च 2023 तक बिना किसी बाधा के काम करता रहेगा. इस तरह आयकर रिटर्न दाखिल करने से लेकर रिफंड पाने तक के लिए इसका इस्तेमाल पहले की तरह ही किया जा सकेगा. 

खत्म हुई मुफ्त सेवा, लगेंगे इतने पैसे

अभी तक इस काम के लिए टैक्सपेयर्स को कोई पैसा देने की जरूरत नहीं थी. लेकिन अब ये ‘मुफ्त सेवा’ बंद कर दी है. ऐसे में अगर कोई करदाता 1 अप्रैल 2022 से लेकर 30 जून 2022 के बीच अपना PAN-Aadhaar Link कराता है, तो उसे 500 रुपये का शुल्क और उसके बाद 1,000 रुपये का शुल्क देना होगा.

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You can link your PAN with Aadhaar by following process:

a) Open the Income Tax e-filing portal - https://incometaxindiaefiling.gov.in/

b) Register on it (if not already done). Your PAN (Permanent Account Number) will be your user id.

c) Log in by entering the User ID, password and date of birth.

d) A pop up window will appear, prompting you to link your PAN with Aadhaar. If not, go to ‘Profile Settings’ on Menu bar and click on ‘Link Aadhaar’.


e) Details such as name date of birth and gender will already be mentioned as per the PAN details.

f) Verify the PAN details on screen with the ones mentioned on your Aadhaar. Pls. note that if there is a mismatch, you need to get the same corrected in either of the documents.

g) If the details match, enter your Aadhaar number and click on the “link now” button.


h) A pop-up message will inform you that your Aadhaar has been successfully linked to your PAN

i) You may also visit https://www.utiitsl.com/ OR https://www.egov-nsdl.co.in/ to link your PAN and Aadhaar.


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💥 शाळा सिद्धी 2021/22

https://bit.ly/3CYbyfb

💥 Action Plan in word

https://bit.ly/3CWsLWs

💥 वरिष्ठ व निवड श्रेणी बाबत नवीन update

🎯 विद्या प्राधिकरणाकडून नवीन सूचना

👇

http://educationalmaharashtra.blogspot.com/2022/01/update.html


शाळा सिद्धी 2021/22

शाळा सिध्दी 2021-22 महत्त्वाचे

शाळा सिद्धी माहिती कशी भरावी याबाबत user manual साठी येथे क्लिक करावे. 
  
   ✳️कृपया शाळा सिध्दी स्वयमूल्यमापन करतांना संपूर्ण अभ्यास करून माहिती भरावी,
अगोदर कच्ची माहिती भरून घ्यावी व नंतर ऑनलाईन करावी,
एकदा की माहिती ऑनलाईन भरून झाली की त्यात कोणताही बदल पुन्हा करता येत नाही.
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☸️ विद्यार्थी माहिती ही चालू शैक्षणिक वर्ष 2021-22 ची लिहावी ..
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🌀 वर्गनिहाय वार्षिक उपस्थिती ही 2020-21 ची येईल ,
 मात्र त्याची सूत्रानुसार टक्केवारी काढून भरावी ...

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      ❇️वर्गनिहाय वार्षिक निकाल हा 2020-21 चा घ्यावा 
व दिलेल्या श्रेणीनुसार त्या त्या वर्गाची विद्यार्थी संख्या विभागून ती टक्केवारी भरावी ...
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नवीन कोरी pdf साठी क्लिक करा

💠 शिक्षक माहिती ही 2021-22 ची भरावी
 व शिक्षक उपस्थिती (रजा)ही 2020-21 ची माहिती भरावी ..
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प्रत्येक स्तर नुसार मार्गदर्शन व वर्णन विधाने

          ☮️ 7 क्षेत्रांची माहिती ही 2021-22 ची भरावी
स्तर 1 साठी priority ही High असेल , 
स्तर 2 साठी Medium तर
स्तर 3 साठी Low येईल  ..
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            ♠️ मिशन स्टेटमेंट हे तुम्ही आगामी शैक्षणिक वर्षात कोणत्या गोष्टीवर प्राधान्याने काम करणार आहात त्यावर आधारित असेल ♠️
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Action Plan साठी येथे क्लिक करावे.

           🟣 School Improvement Plan ( शाळा सुधारणेचे नियोजन ) भरताना
 शाळा सुधारण्यासाठी आणखी कोणते प्रयत्न केले पाहिजे
 तसेच स्तर वाढविण्याच्या बाबी ,
प्रस्तावित कार्यवाही/नियोजन कृती,आवश्यक मदत/घटक आणी पुढील कृती

 या बाबी तुम्ही त्या त्या क्षेत्रात लिहायच्या आहेत ..
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क्षेत्रणीहाय पुरावे कोणते सादर करावेत हे पाहण्यासाठी येथे क्लिक करा. 

🔷 स्तर 1 साठी 1 गूण ,  
🔷 स्तर 2 साठी 2 गूण  
🔷 स्तर 3 साठी 3 गूण आहेत . 
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तुमच्या शाळेत असणाऱ्या विविध सुविधा आणी शाळेतील विविध घटक यातील फरक जाणून वरील योग्य त्या स्तरानुसार गूण द्यावे . 
यासाठी शाळा सिध्दी ची मराठी तील पुस्तिकेचे वाचन करावे ..
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बाह्य मूल्यमापनात कोणते प्रश्न विचारले जातील ते पाहण्यासाठी येथे क्लिक करावे. 
       यावेळी बाह्यमूल्यमापन होण्याची शक्यता आहे , 
त्यामुळे तुम्ही भरलेली माहिती ही पुन्हा चेक होईल 
त्यामुळे घाई न करता काळजीपूर्वक माहीती भरावी .
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शाळा सिद्धी बाबत सर्व शासन निर्णय

Sunday, 20 March 2022

RTE ACT 2009

६ ते १४ वयोगटातील बालकांचा प्राथमिक शिक्षणाच्या मूलभूत अधिकारांचा समावेश असलेला आणि त्यांना मोफत व सक्तीचे शिक्षण देण्यासाठी केंद्र शासनाद्वारे पारित केलेला एक शैक्षणिक कायदा. 

शिक्षण हा आधुनिक समाजाचा पाया आहेम्हणूनच प्रत्येक मुलास शिक्षित केले पाहिजेमुलांचा मोफत व सक्तीच्या शिक्षणाचा हक्क किंवा शिक्षणाचा अधिकार हा भारतीय संसदेचा कायदा आहेहा कायदा ६ ते १४ वर्षे वयोगटातील मुलांसाठी शिक्षणाचा मूलभूत हक्क बनवितोभारतीय घटनेतील कायद्याचा हा भाग भारतातील मुलांना अधिक रोजगारक्षमस्वयंपूर्ण आणि स्वतंत्र होण्यास सक्षम करतो.

शिक्षणाचा अधिकार काय आहे?

शिक्षणाचा हक्क हे एक घटनात्मक विधेयक आहे जे प्रत्येक मुलास औपचारिक शिक्षण मिळेल याची खात्री करतेया कायद्यामुळे मुलांना केवळ शिक्षणाची संधीच मिळत नाही तर मुलांना मोफत गुणवत्तेचे शिक्षणही दिले जाईल याची हमी मिळतेया कायद्यानुसार६ ते १४ वर्षे वयोगटातील मुलांना विनामूल्य शिक्षणाचा अधिकार आहे.

हा कायदा कधी आणि का अस्तित्वात आला?

हे विधेयक २६ ऑगस्ट २००९ रोजी मंजूर झालेयावेळीशिक्षणाला प्रत्येक मुलाचा मूलभूत हक्क बनविण्यासाठी भारत १३५ देशांपैकी एक बनलाहा कायदा १ एप्रिल २०१० रोजी अंमलात आला.

शिक्षण हक्क कायद्याची मुख्य वैशिष्ट्ये

कोणत्याही पालकांनी औपचारिक शिक्षणाच्या दिशेने हा मार्ग निवडल्याबद्दल आरटीईची वैशिष्ट्ये समजून घेणे आवश्यक आहेयात आरटीई प्रवेश वयोमर्यादा आणि त्यासह अधिनियमातील कायद्यांची मुख्य वैशिष्ट्ये आणि नियमांची समजूत घालणे समाविष्ट आहे.

  • कायद्यानुसार प्राथमिक शिक्षण सक्तीचे आणि विनामूल्य आहे.
  • प्रत्येक शाळेत मुले व मुलींसाठी स्वच्छ आणि स्वतंत्र शौचालये असणे आवश्यक आहे.
  • शाळांनी पिण्याचे पाणी विनामूल्य उपलब्ध करुन दिले पाहिजे.
  • वर्गातील शिक्षक विद्यार्थ्यांचे गुणोत्तर प्रमाणित केले आहे.
  • मुलांना त्यांच्या वयानुसार एका वर्गात प्रवेश दिला जाणे आवश्यक आहे आणि जर मुले मागे पडली तर त्यांना सहाय्य प्रदान करणे आवश्यक आहे.
  • नियुक्त केलेल्या शिक्षकांनी योग्य प्रशिक्षण दिले आहे याची खात्री या कायद्यात आहेअधिनियमात शिक्षकांच्या पात्रतेचे निकष व मानके नमूद केली आहेत.
  • कायद्यानुसार मुलांच्या प्रवेशाची हमी आहे.
  • शाळांमध्ये मुलांमध्ये भेदभाव किंवा छळ होणार नाही याची काळजी घेण्यासाठी येथे कडक कायदे व मॉनिटर्स आहेत.
  • पालकांच्या संमतीशिवाय मुलांना थांबवून ठेवता येणार नाही आणि त्यांना हद्दपार करता येणार नाही.
  • खासगी शाळांमधील प्रत्येक वर्गातील २५% विद्यार्थी हे समाजातील वंचित सदस्यांसाठी आरटीई कायद्याचा भाग असणे आवश्यक आहे.
  • आरटीई कायद्यांतर्गत प्रवेश घेण्याची पात्रता

    आरटीई कायद्यांतर्गत प्रवेश मिळण्याच्या पात्रतेविषयी काही माहिती येथे दिली आहे.
    • विद्यार्थ्यांसाठी एलकेजी प्रवेशाचे किमान वय जन्म प्रमाणपत्राद्वारे निश्चित केले जाईल.
    • आरटीई कायद्यानुसार सर्व खासगी शाळांना आर्थिक दुर्बल घटकांमधून आलेल्या २५जागा राखीव ठेवण्याचे आदेश देण्यात आले आहेत.
    • ज्या कुटुंबाची कमाई रु.५ लाख किंवा त्यापेक्षा कमी आहे ते आरटीई कायद्यांतर्गत जागांसाठी अर्ज करु शकतात.
    • अनाथविशेष गरजा असणारी मुलेस्थलांतरित कामगारांची मुले आणि रस्त्यावरील कामगारांची मुले आरटीई कायद्यांतर्गत प्रवेशास पात्र आहेत.

    आरटीई कायद्यांतर्गत प्रवेश प्रक्रिया

    आरटीई प्रवेशासाठी पालक ऑनलाइन प्रवेश घेऊ शकतातहे कसे केले जाऊ शकते ते येथे आहे.

    जवळच्या भागातील शाळा शोधा

    आरटीई कोटा अंतर्गत शाळांसाठी अर्ज करण्याची पहिली पायरी म्हणजे आपल्या जवळील भागातील पात्र शाळा शोधणेआपण आपल्या राज्यातील शाळांबद्दल माहिती ऑनलाइन शोधू शकताजर आपण कर्नाटकात असाल तर आपण हा दुवा तपासू शकता.

    ऑनलाईन फॉर्म भरा

    कोटा वापरुन आपल्या मुलांना शाळेत प्रवेश घेण्यास इच्छुक पालकांनी शासकीय पोर्टलवर लॉग इन करुन प्रदान केलेला कागदपत्र भरावाएकदा आपण फॉर्म भरला की तो प्रिंट करून घ्या.

    फॉर्म जमा करा

    त्यानंतर आपण आपल्या आवडीच्या शाळेत संबंधित कागदपत्रांसह फॉर्म सबमिट करू शकतामुलास शासकीय शाळांमध्ये प्रवेशाची हमी असतेखासगी शाळांनी या कायद्यानुसार २५विद्यार्थ्यांना स्वीकारले पाहिजेआरटीई अंतर्गत प्रवेशाविषयी काही अधिक माहिती येथे आहे. 
  • नवोदय आणि राज्य शाळांमध्ये स्क्रिनिंग नाही

  • राज्य शिक्षण संस्था आणि नवोदय म्हणून ओळखल्या जाणार्‍या विशेष शाळांमध्ये मुलांसाठी स्क्रिनिंग नाहीखाजगी शाळा मुलांना प्रवेश देण्यापूर्वीच त्यांची स्क्रीनिंग करू शकतात परंतु लैंगिकधर्म किंवा जातीवर आधारित मुलांमध्ये कोणताही भेदभाव होणार नाही याची खात्री करण्यासाठी शालेय मंडळाने निश्चित केलेल्या निकषांनुसार स्क्रीनिंग करणे आवश्यक आहे.
    • प्रवेश प्रक्रियेमध्ये गणवेशाचा समावेश

    संबंधित फॉर्म भरल्यानंतर आणि सबमिट केल्यानंतर आपल्या मुलास शाळेचा गणवेश मिळेलशाळा त्यासाठी शुल्क आकारू शकत नाहीत.
    • पुस्तके ह्या प्रक्रियेचा एक भाग आहेत

    आपल्या मुलास दर्जेदार शिक्षणाचा अधिकार आहेयाचा अर्थ असा की प्रवेश प्रक्रियेदरम्यान शाळा प्रशासक आपल्याला संबंधित प्रक्रियेद्वारे मार्गदर्शन करतील ज्यात नोटबुकपाठ्यपुस्तके आणि स्टेशनरी देणे समाविष्ट आहेहे सर्व शाळांमध्ये विनामूल्य आहे आणि त्यासाठी शुल्क आकारले जाऊ नये.
    • नवोदय शाळांमध्ये प्रमाणपत्रे अनिवार्य नाहीत

    वेगवेगळ्या पार्श्वभूमीतील मुलांशी निष्ठा राखण्यासाठीनवोदय शाळा आणि सरकारी शाळा प्रमाणपत्र न घेता मुलांना स्वीकारतातजी मुले संबंधित रेकॉर्ड जमा करू शकत नाहीत किंवा ज्यांच्याकडे ही रेकॉर्ड्स कधीच नव्हती ते प्राथमिक शिक्षणासाठी पात्र आहेतयासाठीची प्रक्रिया थोडी वेगळी आहे आणि त्यात नोंदणी अधिकाराच्या विवेकबुद्धीचा समावेश आहेअधिक माहितीसाठी स्थानिक सरकारी कार्यालयांशी संपर्क साधा.
    • परिसरानुसार अर्जाची संख्या ५ पर्यंत मर्यादित आहे

    आरटीई कायद्याद्वारे अर्ज करणारे मुले आसपासच्या जास्तीत जास्त ५ शाळांमध्ये अर्ज करू शकतातहे पालकांच्या पसंतीच्या क्रमाने असू शकतेअर्ज अयशस्वी झाल्याससरकार आपल्या मुलास आपल्या निवासस्थानाजवळ असलेल्या नियुक्त शाळेत ठेवू शकते किंवा आपल्या वतीने खासगी शाळांकडे अपील करू शकते.

    आरटीई प्रवेशासाठी आवश्यक कागदपत्रे

    वर नमूद केल्याप्रमाणे अशी काही कागदपत्रे आहेत ज्यांना तुम्ही आरटीई प्रवेश फॉर्मसह जमा करणे आवश्यक आहेयाचा लाभ सरकारी पोर्टलवर घेता येतोआवश्यक कागदपत्रे येथे आहेतः
    • पालकांचा सरकारी आयडी ड्रायव्हरचा परवानामतदार ओळखपत्रआधार कार्डरेशनकार्डजन्म प्रमाणपत्रे आणि पासपोर्ट
    • मुलाचा आयडी पालकांनी मुलांचे जन्म प्रमाणपत्रपासपोर्ट आणि आधार कार्ड ह्यांसह सर्व शासकीय कागदपत्रे सादर करणे आवश्यक आहे.
    • जातीचे प्रमाणपत्र आरटीई प्रवेशासाठी जातीचे प्रमाणपत्र देखील महत्त्वाचे कागदपत्र आहे.
    • भारतीय महसूल विभागाकडून प्राप्तिकर प्रमाणपत्र.
    • मुलास विशेष गरजा असल्याचे सिद्ध करण्यासाठी संबंधित प्रमाणपत्रेहे आपल्याला आरोग्य विभाग प्रदान करेल.
    • रस्त्यावरील मुलासाठी किंवा स्थलांतरित कामगारांचे मूल असल्यासतसे कामगार विभागशिक्षण विभाग आणि महिला व बालविकास विभागाकडून दिले जाणारे प्रतिज्ञापत्र सादर करणे आवश्यक आहे.
    • मुलाची छायाचित्रे.
    • जर मुल अनाथ असेल तर दोन्ही पालकांचे मृत्यू प्रमाणपत्र तयार केले जावे.
    • प्रवेशासाठी अंतिम मुदतीपूर्वी सर्व अर्ज सबमिट करणे आवश्यक आहेआरटीई प्रवेशाची अंतिम तारीख साधारणपणे दरवर्षी एप्रिलच्या दुसर्‍या आणि शेवटच्या आठवड्यात असते.
    • सामान्य प्रश्न

      आरटीई नवोदय शाळांना दिलासा कसा देईल?

      नवोदय शाळांना आरटीई कायद्यातील तरतुदींमधून सूट देण्यात आली आहेनवोदय शाळांमध्ये ७५जागा ग्रामीण मुलांसाठी राखीव आहेतज्यांना कागदपत्रे देणे शक्य होणार नाही त्यांच्यासाठी कागदपत्रे निम्म्याने कमी करण्यात आलेली आहेतबर्‍याच नवोदय शाळांमध्येही तपासणी न करता प्रवेश घेण्याची हमी दिली जातेत्यांच्याकडे मुलींसाठी ३आरक्षणे आहेत आणि एससी एसटी मुलांसाठी जागा आरक्षित आहेत.

      अभ्यासक्रम जागेनुसार बदलतो का?

      शिक्षण मंडळाच्या आधारे अभ्यासक्रम बदलू शकतोहे केवळ आरटीई विद्यार्थ्यांसाठी नाही तर सर्व विद्यार्थ्यांसाठी आहेसीबीएसईआयसीएसईराज्य आणि एनआयओएस बोर्डांचा अभ्यासक्रम वेगळा आहे. . याव्यतिरिक्तआरटीईद्वारे विद्यार्थ्यांना स्वीकारणारे आयबी आणि आयजीसीएसई आंतरराष्ट्रीय शाळांमध्ये देखील भिन्न अभ्यासक्रम असू शकतातआणखी एक मुद्दा लक्षात घेण्याची बाब म्हणजे आपला मुलगा ज्या राज्यात शिक्षण घेत आहे त्या राज्य आधारे राज्य मंडळाचा अभ्यासक्रम बदलतोयाचा अर्थ असा होतो की कर्नाटकमधील एसएसएलसीच्या विद्यार्थ्यांचा अभ्यासक्रम तामिळनाडूमध्ये शिकणाऱ्यांपेक्षा वेगळा आहे.

      राज्य स्तरावर अभ्यासक्रम व मूल्यांकन प्रणाली विहित कोण करते?

      राज्य शिक्षण मंडळ विविध राज्यांसाठी अभ्यासक्रम आणि मूल्यांकन संबंधित प्रक्रियेचे प्रभारी आहेराज्य शिक्षण मंत्रालय आणि शिक्षण मंडळासह शिक्षकांचे एक पॅनेल अभ्यासक्रम तयार करतात आणि एसएसएलसी बोर्ड राज्यातील विद्यार्थ्यांचे मूल्यांकन करते.
    • बोर्डाच्या परीक्षा नसल्यास मूलभूत शिक्षण पूर्ण केल्याबद्दल मुलाचे प्रमाणपत्र कसे असेल?

      शिक्षक विद्यार्थ्यांच्या प्रगतीवर लक्ष ठेवतात आणि जेव्हा विद्यार्थी आवश्यक शैक्षणिक गोष्टी पूर्ण करतात तेव्हा ते त्यांना प्रमाणपत्र देतातविद्यार्थ्यांचे मूल्यांकन वाजवी माध्यमातून केले जातेजे विद्यार्थी सरासरी परफॉर्मर्स आहेत त्यांना शिक्षकांनी इतर विद्यार्थ्यांच्या पातळीवर आणले आहेया प्रकारचे शिक्षण परीक्षांची गरज दूर करते.

      हे खरे आहे का की कोणत्याही मुलाला शाळेतून काढून टाकले जाऊ शकत नाही किंवा अयशस्वी केले जाऊ शकत नाही?

      शिक्षणाच्या अधिकाराच्या कायद्यानुसार आरटीई अंतर्गत मुले आणि ८ वी पर्यंतच्या सर्व मुलांना पालकांच्या संमतीशिवाय त्याच वर्गात ठेवता येणार नाहीजर पालक सहमत नसतील तर मुलाला परत त्याच वर्गात ठेवता येईलपरंतु हे कधीही अपयशी ठरत नाहीहे देखील खरे आहे की कोणत्याही मुलाला शाळेतून काढून टाकले जाऊ शकत नाही.

      जर एखादे १३ वर्षांचे मूल एखाद्या शाळेत जाऊ इच्छित असेल तर जेव्हा तो १४ वर्षांचा होईल तेव्हा त्याला एका वर्षात शाळा सोडण्यास सांगितले जाईल का?

      हे प्रकरण पूर्णपणे मुलावर अवलंबून आहेसिद्धांतानुसारमुलाने सर्व शैक्षणिक बाबी पूर्ण करून तो १४ वर्षांचा झाल्यावर त्यास शाळा सोडण्यास सांगितले जाऊ शकतेतसे नसल्यासशाळेने हे सुनिश्चित करणे आवश्यक आहे की तो विद्यार्थी प्रमाणपत्र देण्यापूर्वी त्याच्या तोलामोलाच्या पातळीवर आहे.

      हा कायदा केवळ दुर्बल घटकांसाठी आहे का?

      आरटीई कायदा हा समाजातील कोणत्याही विशिष्ट वर्गासाठी नाहीज्याकडे स्त्रोत मर्यादित असतात किंवा नसतात त्यांना शिक्षण प्रदान करण्याचे उद्दीष्ट आहेयात समृद्ध नसलेल्या सोसायटीच्या सदस्यांचा समावेश आहेसर्व मुलांना शिक्षणाची हमी देणे हे त्याचे उद्दीष्ट आहेयाचा अर्थ असा की वेगवेगळ्या पार्श्वभूमीतील मुलांना अभ्यासाची संधी मिळेलआरटीई कायदा हे सुनिश्चित करतो की मुलांना अभ्यास करण्याची आणि त्यांना सक्षम बनविण्याची संधी मिळेलआरटीईची निवड करण्यासाठी राज्यस्तरावर शिक्षण विभागाशी संपर्क साधा
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हा बाल शिक्षण हक्क कायदा किंवा शिक्षणाच्या अधिकारांचा कायदा (आरटीई) ४ ऑगस्ट २००९ रोजी अधिनियमित केला गेला आणि भारतीय संविधानाच्या कलम २१ अ अंतर्गत १ एप्रिल २०१० पासून लागू करण्यात आला. हा कायदा १३५ देशांमध्ये लागू असून यांत भारताचा समावेश आहे.

शिक्षण हक्क कायद्यामुळे बालकांना उत्तम दर्जाचे प्राथमिक शिक्षण मिळविण्याचे अधिकार प्राप्त झाले आहे. बालकांना बालस्नेही (चाईल्ड फ्रेंड्ली) वातावरणामध्ये सहज व सोप्या पद्धतीने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण मिळावे, यासाठी अधिनियम व नियमावलीमध्ये विविध तरतुदींचा समावेश करण्यात आला आहे. भारतातील प्रत्येक मुलाला शाळेत जाण्याचा हक्क आहे. त्यामुळे कोणत्याही मुलाला शाळेत प्रवेश नाकारता येणार नाही; कोणतेही मूल शिक्षणापासून वंचित राहणार नाही; कोणतेही मूल शाळेतून काढून टाकले जाणार नाही. प्रत्येक खाजगी शाळेत समाजातील गरीब वर्गांतील विद्यार्थ्यांना मोफत प्रवेश देणे अनिवार्य आहे. या महत्त्वाच्या गोष्टी अमलात आणल्या जाण्यासाठीच हा कायदा लागू करण्यात आला.

लोकशाही, समता, सामाजिक न्याय आणि मानवी समाजामध्ये न्यायाची प्रस्थापना ही मूल्ये सर्व मुलांच्या प्राथमिक शिक्षणाच्या माध्यमातून साधली जाऊ शकतात, या दृष्टीने हा अधिनियम अमलात आणला गेला. या कायद्यातील कलम ९ मध्ये स्थानिक प्राधिकरणाची कर्तव्ये विहित करण्यात आली आहे. त्यामधील काही कर्तव्ये जिल्हा परिषद, महानगरपालिका, पंचायत समिती, नगरपरिषद, नगरपालिका, नगरपंचायत, ग्रामपंचायत स्तरांवरील आहे.

तरतुदी :

  • ६ ते १४ वर्षे वयोगटातील सर्व मुले जवळच्या सरकारी शाळेत किंवा अनुदानित शाळेत वर्ग पहिली ते आठवीपर्यंत मोफत शिक्षण घेऊ शकतात.
  • जी मुले काही कारणांमुळे शाळेत गेली नाहीत किंवा शाळेत जाऊ शकली नाहीत, ते पुन्हा शाळेत परत येऊ शकतात. त्यांना या कायद्यामुळे त्यांच्या वयानुसार योग्य असलेल्या वर्गामध्ये प्रवेश दिला जातो.
  • जे गरीब किंवा दुर्लक्षित बालक आहेत, अशा बालकांना कायद्यानुसार खाजगी शाळेत वर्ग आठवीपर्यंत मोफत शिक्षण मिळू शकते.
  • सर्व मुलांना मोफत आणि अनिवार्य शिक्षण देणे सरकारला बंधनकारक आहे.
  • जवळच्या शाळेत सहा ते चौदा वर्षांदरम्यानच्या सर्व मुलांसाठी मोफत शिक्षणाच्या हक्कासाठी कायद्यानुसार घटनात्मक वैधता आहे.
  • या कायद्यानुसार प्राथमिक शिक्षण पूर्ण होईपर्यंत म्हणजेच वर्ग पहिली ते आठवीपर्यंत कोणत्याही मुलाला एकाच वर्गात दोन वेळा बसविता येणार नाही.
  • वर्गामधील आर्थिक दृष्ट्या कमकुवत २५ टक्के मुलांना 
  • सर्व केंद्रीय विद्यालये, नवोदय विद्यालये, सैनिक शाळा आणि खाजगी शाळांमध्ये प्रवेश दिला जाईल.
  • या कायद्यानुसार गरीब कुटुंबातील लाखो मुले खाजगी शाळांमध्ये मोफत शिक्षण घेतील.
  • या कायद्यानुसार मुलांच्या शारीरिक व मानसिक छळाला प्रतिबंध लावला आहे.
  • विकलांगता असलेल्या मुलांसाठी या कायद्यानुसार विशेष संरक्षण देण्यात आले आहे.
  • या कायद्यानुसार सरकारी शिक्षकांना खाजगी शिकवणी घेण्यावर प्रतिबंध केले आहे.
  • या कायद्यानुसार शाळेमध्ये काळजीवाहक शिक्षकांचा समावेश असावा. तसेच शाळा व्यवस्थापन समिती व तक्रार निवारण व्यवस्थेची स्थापना करण्यात येते.
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालयाने या कायद्याच्या अंबलबजावणीसाठी एक उच्चस्तरीय १४ सदस्यीय राष्ट्रीय सल्लागार परिषद (एन. ए. सी.) स्थापन केली होती. त्यात नासकॉमचे माजी अध्यक्ष किरण कर्णिक, एन. सी. ई. आर. टी. चे माजी संचालक कृष्ण कुमार, उत्तर-पूर्व विद्यापीठाचे माजी कुलगुरू मृणाल मिरी, सामाजशास्त्रज्ञ योगेंद्र यादव, चिल्ड्रन होप्स इंडियाचे सचिव साजित कृष्णन कुही, सामाजिक कार्यकर्त्या एनी नमला, मुस्लीम एज्युकेशन सोसायटीचे उपाध्यक्ष अहमद अबुबकर यांसारखे नामवंत सदस्य होते.

    समितीच्या अहवालानुसार सहा ते चौदा वर्षे वयोगटातील ८ कोटी ८० लाख मुले शाळाबाह्य आहेत आणि देशात ५,०८,००० शिक्षकांची कमतरता आहे. या धक्कादायक अहवालानंतर या बिलास २ जुलै २००९ रोजी मंत्रिमंडळाची मंजुरी मिळाली. राज्यसभेने २० जुलै २००९ रोजी आणि ४ ऑगस्ट २००९ रोजी लोकसभेत बील पाठविले आणि १ एप्रिल २०१० पासून जम्मू आणि काश्मीर या राज्यांव्यतिरिक्त संपूर्ण भारतभर बाल हक्क शिक्षण कायदा लागू झाल्याचे भारताचे तत्कालीन पंतप्रधान डॉ. मनमोहन सिंग यांनी जाहीर केले. त्या वेळी त्यांनी ‘आम्ही सर्व मुले, लिंग आणि सामाजिक वर्ग विचारात न घेता शिक्षणाकडे वळली आहोत, याची खात्री करण्यास वचनबद्ध आहोत. शिक्षणामुळेच मुले आवश्यक कौशल्ये, ज्ञान, मुल्ये आणि जीवनविषयक दृष्टीकोन आत्मसात करण्यास सक्षम बनतील’, असे मत व्यक्त केले आहे.